आयात शुल्क मूल्य बढ़ने, वैश्विक स्टॉक की कमी से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

Edited By Updated: 28 Feb, 2021 02:52 PM

oil oilseeds prices improve last week on rise in import tariff

आगामी त्योहारी मांग के अलावा खाद्य तेलों के वैश्विक स्टॉक की पाइपलाइन खाली होने तथा देश में आयात शुल्क मूल्य में बढ़ोतरी किए जाने की वजह से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में खाद्य तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा और भाव पर्याप्त लाभ दर्शाते बंद...

नई दिल्लीः आगामी त्योहारी मांग के अलावा खाद्य तेलों के वैश्विक स्टॉक की पाइपलाइन खाली होने तथा देश में आयात शुल्क मूल्य में बढ़ोतरी किए जाने की वजह से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में खाद्य तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा और भाव पर्याप्त लाभ दर्शाते बंद हुए। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में पुराने सरसों की मांग है और व्यापारियों एवं तेल मिलों के पास इसका कोई स्टॉक नहीं बचा है। पिछले साल का भी कोई स्टॉक शेष नहीं है और पाइपलाइन खाली है। 

मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ रही है, लेकिन इसमें अभी हरापन है जिसे परिपक्व होने में अभी 15-20 दिन का समय लगेगा। उधर, मध्य प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले सरसों दाने से तीन-चार प्रतिशत कम तेल की प्राप्ति हो रही है। इन परिस्थितियों में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सरसों तेल-तिलहनों के भाव साधारण लाभ दर्शाते बंद हुए। दूसरी ओर निर्यात की मांग के साथ-साथ स्थानीय खपत की मांग होने से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि होली और नवरात्र जैसे त्योहारों की वजह से हलवाइयों और कारोबारियों की मांग बढ़ने के अलावा गर्मी के मौसम की मांग बढ़ने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में पर्याप्त सुधार आया है। 

पिछले सप्ताह जिस सीपीओ का भाव 1,030-40 डॉलर प्रति टन था वह अब बढ़कर 1,100 डॉलर प्रति टन हो गया है। पिछले सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज की मजबूती की वजह से भी इन तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा। इसके अलावा सूरजमुखी तेल का भाव वैश्विक स्तर पर अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया है, जिससे बाकी तेलों के भाव में भी तेजी आई है। दिल्ली में सारे शुल्क जोड़ने के बाद ग्राहकों को सूरजमुखी तेल का भाव 180 रुपए किलो बैठता है। 

सूरजमुखी तेल की इस रिकॉर्ड तेजी की वजह से पामोलीन और सोयाबीन रिफाइंड की मांग काफी बढ़ गई है, जिससे इन तेलों सहित बाकी तेलों के भाव में भी सुधार आया। सूत्रों ने कहा कि बाजार में सोयाबीन के बेहतर दाने का स्टॉक नहीं के बराबर है और पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन की उपज लगभग आधी है और इसमें भी बरसात की वजह से फसल को हुए नुकसान के कारण 20 प्रतिशत फसल दागी हैं। अगली फसल के लिए सोयाबीन बीज की भारी कमी है तथा बीज के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसान सोयाबीन के बेहतर दाने की खरीद लगभग 6,100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव कर रहे हैं। इसके अलावा मुर्गी दाने के लिए डीओसी (तेल रहित खल) की भारी निर्यात मांग (करीब चार लाख टन) है। 

सोयाबीन की अगली फसल में लगभग आठ महीने की देर होने और अक्टूबर तक 30-35 लाख टन सोयाबीन ख्ली की स्थानीय मांग को देखते हुए सरकार को सोयाबीन के निर्यात पर अंकुश लगाने के बारे में विचार करना पड़ सकता है। देश की पैदावार का लगभग 50 प्रतिशत भाग जापान को निर्यात किया जाता था, जो इस बार उपज प्रभावित होने के कारण बहुत कम हो गया है। इस परिस्थिति में सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में लाभ दर्शाते बंद हुए। सूत्रों ने बताया कि इस बार सोयाबीन के लिए अच्छे दाम मिलने के बाद अगले वर्ष इसकी उपज दोगुनी हो सकती है और बिजाई के लिए सरकार को सोयाबीन के अच्छे दानों का इंतजाम पहले से करके रखना होगा।
 

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