Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Dec, 2025 12:20 PM

Gold Returns फंड्सइंडिया की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, लंबी अवधि में सोने ने रिटर्न के मामले में अधिकांश परिसंपत्ति वर्गों को पीछे छोड़ दिया है। अध्ययन के मुताबिक, पिछले 20 वर्षों में सोने ने रुपए के लिहाज से 15% का सालाना चक्रवृद्धि (CAGR) रिटर्न...
बिजनेस डेस्कः Gold Returns फंड्सइंडिया की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, लंबी अवधि में सोने ने रिटर्न के मामले में अधिकांश परिसंपत्ति वर्गों को पीछे छोड़ दिया है। अध्ययन के मुताबिक, पिछले 20 वर्षों में सोने ने रुपए के लिहाज से 15% का सालाना चक्रवृद्धि (CAGR) रिटर्न दिया, जबकि भारतीय इक्विटी (निफ्टी 50 TRI) ने इसी अवधि में 13.5% CAGR रिटर्न दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट ने 7.8% और डेट ने 7.6% सालाना रिटर्न दिया, जिससे ये परिसंपत्ति पिरामिड के निचले स्तर पर रहे। अमेरिकी इक्विटी ने भारतीय निवेशकों को रुपए के संदर्भ में 14.8% CAGR का रिटर्न दिया।
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सोने की मांग क्यों बढ़ी?
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर गोल्ड खरीद बढ़ाने से सोने की कीमतों को मजबूती मिली। साथ ही भू-राजनीतिक तनाव, रुपए का अवमूल्यन, और शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन ने भी सोने को एक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में लोकप्रिय बनाए रखा।
5 साल में सोने ने दिया सबसे ज्यादा रिटर्न
फंड्सइंडिया के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में सोने ने 23.2% CAGR का शानदार रिटर्न दिया है — जो भारतीय इक्विटी (16.5%) और अमेरिकी इक्विटी (19.6%) दोनों से ज्यादा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगे भी सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि:
- भू-राजनीतिक जोखिम ज्यादा हैं
- खनन में चुनौतियां बनी हुई हैं
- मांग बढ़ती जा रही है जबकि उत्पादन सीमित है।
गोल्ड बुलियन कंपनी (UK) के मैनेजिंग डायरेक्टर रिक कांडा ने अनुमान लगाया है कि 2026 के अंत तक सोने की कीमत 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है।
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मिडकैप और स्मॉलकैप में बेहतर प्रदर्शन
फंड्सइंडिया रिपोर्ट के अनुसार, इक्विटी सेगमेंट में मिडकैप और स्मॉलकैप ने लंबे समय में लार्जकैप की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया। पिछले 20 वर्षों में:
- मिडकैप ने 16.5% CAGR
- स्मॉलकैप ने 14.3% CAGR
- जबकि लार्जकैप (निफ्टी 100 TRI) ने 13.8% CAGR रिटर्न दिया।
चोकालिंगम के मुताबिक, पिछले दशक में निवेशकों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है। खुदरा निवेशकों की संख्या अभी 20 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जबकि 10 वर्ष पहले यह केवल 6–6.5 करोड़ थी।