UK में अर्थव्यवस्था का संकट गहराया, निजी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर शुरू की कर्मियों की छंटनी

Edited By Updated: 25 Sep, 2023 04:53 PM

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ब्रिटेन में मंदी की आशंका गहराने के बीच निजी सैक्टर की कंपनियों ने तेजी के साथ स्टाफ में कमी करनी शुरू कर दी है। 2020 में कोरोना महामारी के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि यू.के. के प्राइवेट सैक्टर को बड़े स्तर पर कर्मियों की छंटनी करनी पड़ रही है।

लंदनः ब्रिटेन में मंदी की आशंका गहराने के बीच निजी सैक्टर की कंपनियों ने तेजी के साथ स्टाफ में कमी करनी शुरू कर दी है। 2020 में कोरोना महामारी के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि यू.के. के प्राइवेट सैक्टर को बड़े स्तर पर कर्मियों की छंटनी करनी पड़ रही है। 

बैंक आफ इंगलैंड ने हाल ही में ब्याज दरों में की जा रही वृद्धि पर पहली बार ब्रेक लगाया था। यह भी इंगलैंड में गहरा रहे वित्तीय संकट की तरफ इशारा करता है। इस बीच एस. एंड पी. ग्लोबल कम्पोजिट परचेजिंग मैनेजर इंडैक्स (पी.एम.आई.) सितम्बर में लुढ़क कर कर 46.8 पर पहुंच गया है। यह पिछले महीने 48.6 पर था। जनवरी 2021 के बाद इसमें सबसे बड़ी गिरावट आई है। पिछली बार कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाऊन के कारण इस तरह के हालात बने थे। हालांकि आर्थिक विशेषज्ञ ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद कर रहे थे लेकिन इन उम्मीदों के उलट यू.के. का प्राइवेट सैक्टर गहरे संकट में धंसता जा रहा है।

यू.के. की आर्थिकता को लेकर ये सर्वे बैंक आफ इंगलैंड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि पर रोक लगाने के बाद किया गया था। इंगलैंड में ब्याज दरें 5.25 प्रतिशत पहुंचने के कारण पहले से ही आर्थिक मंदी गहराने के संकेत मिल रहे थे। बैंक आफ इंगलैंड ने आंतरिक स्तर पर मिल रहे अर्थव्यवस्था के संकेतों के बाद ही ब्याज दरों में वृद्धि पर रोक लगाने का फैसला किया था। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज की दर बढ़ने और लोन महंगा होने के कारण बैंक आफ इंगलैंड ने यह फैसला लिया। सितम्बर महीने के पी.एम.आई. के संकेतों से पता लगता है कि इस साल के दूसरी छमाही में भी यू.के. की अर्थव्यवस्था काफी कमजोर लग रही है। 

रिटेल सेल के शुक्रवार को आए अगस्त महीने के आंकड़ों को देखकर कुछ राहत की उम्मीद नजर आ रही है, लेकिन यदि सितम्बर में इसमें बहुत ज्यादा तेजी नहीं आती है तो इसका असर तीसरी तीमाही के जी.डी.पी. आंकड़ों पर पड़ेगा। एस. एंड पी. ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अक्तूबर 2009 के बाद इंगलैंड में नौकरियों में सबसे ज्यादा कटौती हो रही है। गौरतलब है कि यू.के. में जनवरी 2025 में चुनाव होना है और चुनाव से लगभग सवा साल पहले अर्थव्यवस्था का संकट गहराता जा रहा है। यह प्रधानंमत्री ऋषि सुनक के लिए चिंता की बात है क्योंकि वह हाल ही में आए यू.के. के राजनीतिक सर्वे में प्रधानमंत्री की दौड़ में पिछड़ते जा रहे हैं। हालांकि इंगलैंड की सरकार को उम्मीद है कि वोटरों के मतदान में जाने से पहले अर्थव्यवस्था के संकट का समाधान मिल जाएगा। 

पी.एम.आई. के आंकड़ों से लगातार दूसरे महीने जी.डी.पी. के आंकड़ों में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और ऐसा यू.के. के सर्विस सैक्टर की ग्रोथ कम होने से हो रहा है। सर्विस सैक्टर यू.के. का सबसे बड़ा सैक्टर है और इसके प्रदर्शन का अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ता है। कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा लेबर मार्कीट में भी भरोसे की कमी नजर आ रही है और इसी कारण बैंक आफ इंगलैंड को बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था के संकट से निपटने में परेशानी हो रही है।

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