Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jul, 2025 07:07 AM

Inspirational context: आज के इस भौतिकवादी युग का तथाकथित प्रगतिशील मनुष्य विकास की अंधी दौड़ में पूरा जीवन विकास के नाम पर भविष्य की चिंता करते हुए अपने लिए गाड़ी, बंगला, धन-संपत्ति रूपी सुख-सुविधाएं इकट्ठी करने में लगा रहता है। इन भौतिक...
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Inspirational context: आज के इस भौतिकवादी युग का तथाकथित प्रगतिशील मनुष्य विकास की अंधी दौड़ में पूरा जीवन विकास के नाम पर भविष्य की चिंता करते हुए अपने लिए गाड़ी, बंगला, धन-संपत्ति रूपी सुख-सुविधाएं इकट्ठी करने में लगा रहता है। इन भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने की अतृप्त लालसा में वह इन्हें पाने के साधनों की शुचिता-पवित्रता पर भी ध्यान नहीं देता। भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में पीछे रह जाने के भय से तथा इस विकास की चकाचौंध के सम्मोहन से मंत्रमुग्ध मनुष्य अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक कर भौतिक सुखों की उस राह पर चल रहा है जो अंतत: उसे उसके विनाश की ओर ले जा रही है। शायद हमारी स्थिति भेड़ों के उस झुंड की भांति है जो एक के पीछे एक विनाश के कुएं में गिर रही हैं। वर्तमान की सुख-सुविधाओं तथा भविष्य की चिंता में धन-संपत्ति एकत्रित करते समय हम अपने अनमोल मानव जीवन के उद्देश्य को भूल चुके हैं।

ये समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं केवल ईश्वर प्रदत्त साधन हमारे शरीर मात्र के लिए हैं और यह मनुष्य तन हमारे जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हमारे पूर्व जन्मों के कर्मानुसार ईश्वरीय न्याय व्यवस्था के अधीन मिला है परंतु हम अपने इन साधनों, अपने मन, बुद्धि, इंद्रियों को अपने अधीन रखने के स्थान पर भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए इनके अधीन हो चुके हैं।

भौतिक संपत्ति तो मात्र शारीरिक इंद्रिय सुखों के लिए है जबकि सच्चा आत्मिक आनंद तो आत्मा को परमात्मा की उपासना में मग्न करके, सद्कर्म करते हुए परम आनंद अर्थात मोक्ष की प्राप्ति में है। इसलिए हम जीवन के उद्देश्य को समझकर ईश्वर की आज्ञा पालन करते हुए धर्मानुसार जीवन यापन करके ईश्वरीय उपासना में मग्न रह कर सद्कर्मों की अमर संपत्ति एकत्रित करें जो सदा हमारे कल्याण के लिए हमारे साथ जाएगी।