यहां जानिए अन्नपूर्णा जयंती का महत्व व पूजन विधि

Edited By Jyoti,Updated: 17 Dec, 2021 03:31 PM

annapurna jayanti 2021

प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाय जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी पार्वती को ही अन्नपूर्णा माता का दर्जा प्राप्त है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाय जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी पार्वती को ही अन्नपूर्णा माता का दर्जा प्राप्त है। इसलिए ये दिन देवी पार्वती जिन्हें अन्नपूर्णा माता भी कहा जाता है, को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि प्राचीन समय में जब धरती पर अन्न की कमी होने पर माता पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में धरती पर अवतरित हुई थी। और धरती के लोगों की अन्न की कमी की पूर्ति की थी तथा उनके कष्टों को हर लिया था। 

तब से मान्यता प्रचलित है कि जो व्यक्ति खासतौर पर अन्नपूर्णा जयंती के दिन देवी पार्वती व इनके अन्नपूर्णा अवतार की विधि वत पूजा अर्चना आदि करता है उसके जीवन में कभी धन-धान्य के साथ-साथ अन्न की कभी कमी नहीं होती। बता दें इस बार अन्नपूर्णा जयंती 19 दिसंबर को मनाई जा रही है। आइए आगे जानते हैं इस दिन से जुड़ा महत्व साथ ही साथ जानेंगे इस दिन किस विधि से इनकी पूजा करनी चाहिए- 

शास्त्रों में बताया गया है कि अन्नपूर्णा जयंती पर्व को मनाने के मुख्य लक्ष्य है अन्न का महत्ल समझना। धार्मिक ग्रंथों में वर्णन किया गया है कि किसी व्यक्ति को कभी अपने जीवन में अन्न का निरादार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अन्नपूर्णा जयंती के दिन ही बल्कि प्रत्येक दिन किचन में सफाई रखनी चाहिए। तो वहीं इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार अन्न का दान करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से परिवार में समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावाा इस दिन गैस, स्टोव और अन्न की पूजा जरूरी करना चाहिए। 

अन्नापूर्णा जयंती पूजा विधि-
अन्नपूर्णा जयंती के दिन सूर्योदय के समय उठकर स्नान करें और पूजा का स्थान और रसोई को अच्छी तरह से साफ कर लें। 
गंगाजल का छिड़काव करें।
 फिर हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से रसोई के चूल्हे की पूजा करें. मां अन्नापूर्णा की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करके सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठें लगा लें. धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर के सामने रखें. इसके बाद 10 दूर्वा और 10 अक्षत मां को अर्पित करें. फिर अन्नपूर्णा देवी की कथा पढ़ें. मां से पूजा के दौरान हुई भूल की क्षमा याचना करें. फिर सूत के धागे को घर के पुरुषों के दाएं हाथ महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर बांधें. पूजन के बाद गरीब और जरूरतमंदों को अन्न दान करें. 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!