कब है हलहारिणी अमावस्या 28 या 29? जानिए क्या कहती है ज्योतिष गणना

Edited By Updated: 28 Jun, 2022 05:27 PM

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हिंदू धर्म में पितरों की शांति के लिए अमावस्या तिथि को बहुत खास माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना चल रहा है और जिसमें पड़ने वाली अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या व आषाढ़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

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हिंदू धर्म में पितरों की शांति के लिए अमावस्या तिथि को बहुत खास माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना चल रहा है और जिसमें पड़ने वाली अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या व आषाढ़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। बता दें कि इस बार अमावस्या दो दिन पड़ रही है। तो ऐसे में हम आपके बताने जा रहे हैं आषाढ़ मास की कौन सी तारीख को कौन सा कार्यक्रम किया जाएगा। साथ ही आपको आषाढ़ अमावस्या की सही तिथि, शुभ मुहूर्त व व्रत नियम के बारे में पूरी जानकारी देंगे। तो आइए जानते हैं-
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आषाढ़ अमावस्या की तिथि व शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जून को प्रातः 05 बजकर 52 मिनट पर आरंभ होगी और इसका समापन 29 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। बता दें कि चूंकि स्नान, दान आदि कार्यक्रम सूर्योदय के समय होता है तो ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 29 जून, दिन बुधवार को पवित्र नदियों में स्नान व दान आदि के कार्य किए जाएंगे। इस दिन वृद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। उसके बाद ध्रुव योग शुरू हो जाएगा। अमावस्या के दिन आर्द्रा नक्षत्र रात 10 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। ये दोनों ही योग स्नान और दान के लिए उत्तम माने गए हैं। तो ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का पर्व 29 जून, दिन बुधवार को मनाया जाएगा और श्राद्ध कर्म का कार्यक्रम व व्रत 28 जून, दिन मंगलवार को किया जाएगा।
 

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आषाढ़ अमावस्या महत्व- 
आषाढ़ अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का खास महत्व होता है। बता दें कि आषाढ़ मास की अमावस्या का संबंध कृषि से भी है। आषाढ़ मास की ये अमावस्या जीवन में कृषि और अन्न की अहमियत को बताती है। इसी कारण इसे हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन कृषि कार्य से जुड़े लोग हल और खेती में प्रयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। इस दिन किसान अपने खेतों में घास को चरने के लिए बैलों को खुला छोड़ देते हैं। इसलिए किसानों के लिए ये अमावस्या बहुत खास मानी गई है। 
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आषाढ़ अमावस्या के दिन इन बातों का रखें ध्यान-
इस दिन तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए।
दाढ़ी, नाखून और बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।
इस दिन किसी भी तरह का नशा करने से बचें।
इस दिन क्रोध बिल्कुल न करें साथ ही किसी को अपशब्द न बोले।
इसके अलावा किसी का जूठा भोजन नहीं करना चाहिए और न ही किसी को अपना जूठा खिलाएं।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन तामसिक चीजों यानि कि मांस, मछली, शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति के तन और मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
अमावस्या के दिन परिवार वालों से वाद-विवाद नहीं चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को ठेस पहुंचती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है।
दोपहर में और सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिए।
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