Brihadeeswara Temple: करीब 1,000 साल से बिना नींव के खड़ा है यह मंदिर

Edited By Updated: 25 Feb, 2023 11:08 AM

brihadeeswara temple

पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता की चर्चा हमेशा होती रही है। चूंकि मंदिरों से हमारी आस्था और भक्ति का सजीव प्रमाण मिलता है, हर धर्म के संगम की धरती भारत में एक से बढ़कर एक पुराने व भव्य कलात्मक मंदिर हैं, जिनकी सुंदरता ने हमेशा...

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What is special about Brihadeeswarar temple: पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता की चर्चा हमेशा होती रही है। चूंकि मंदिरों से हमारी आस्था और भक्ति का सजीव प्रमाण मिलता है, हर धर्म के संगम की धरती भारत में एक से बढ़कर एक पुराने व भव्य कलात्मक मंदिर हैं, जिनकी सुंदरता ने हमेशा आकर्षित किया है।

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Brihadeshwara Temple History:
इन मंदिरों की नक्काशी में भारतीय संस्कृति, कला व सौंदर्य का अनूठा संगम मिलता है, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।  बृहदेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्राचीन व मुख्य मंदिरों में से एक है। इसकी वास्तुकला सच में हैरान कर देती है। 1 लाख 30 हजार टन से भी ज्यादा ग्रेनाइट से बने इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण 216 फुट लम्बा टावर है, जो मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनाया गया है।

Brihadeshwara temple features: बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जो 11वीं सदी के आरंभ में बनाया गया था। इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं। तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर को राजराजा-प्रथम ने 1009 ईस्वी में भगवान शिव की पूजा के लिए बनवाया था। चोल शासकों ने इस मंदिर को राजराजेश्वर नाम दिया था परंतु तंजौर पर हमला करने वाले शासकों ने इस मंदिर का नाम बदलकर बृहदेश्वर कर दिया था।

Brihadeshwara temple is located at: मुख्य मंदिर और गोपुरम 11वीं सदी से बने हैं, लेकिन इसके बाद मंदिर की मुरम्मत हो चुकी है। चूंकि युद्ध और मुगल शासकों के आक्रमण और तोड़-फोड़ से मंदिर को कई बार बड़ी क्षति हुई थी, हिंदू राजाओं ने पुन: इस क्षेत्र को जीत लिया तो उन्होंने इस मंदिर को ठीक करवाया और कुछ अन्य निर्माण कार्य भी करवाए।

बाद के राजाओं ने दीवारों पर पुराने पड़ रहे चित्रों पर पुन: रंग करवा कर उसे संवारा और मंदिर की स्थिति को फिर से ठीक कराया। मंदिर में कार्तिकेय भगवान, जिन्हें मुरुगन स्वामी और मां पार्वती जिन्हें अम्मन कहते हैं और मंदिर व नंदी की मूर्ति का निर्माण 16-17वीं सदी में नायक राजाओं ने करवाया था। मंदिर में संस्कृत भाषा और तमिल भाषा के कई पुरालेख लिखे दिखते हैं।

Thanjavur temple shadow बिना नींव के खड़ा है
1003 से 1010 से बीच बने इस मंदिर के रहस्य करीब 1,000 साल बीत जाने के बावजूद आज तक इंजीनियरों से लेकर वैज्ञानिक तक कोई नहीं सुलझा पाया है। कहते हैं कि राजराजा चोल-प्रथम श्रीलंका के दौरे पर थे, जब उन्हें सपने में इस मंदिर का निर्माण करने का आदेश मिला। इसके बाद उन्होंने मंदिर निर्माण शुरू किया। मंदिर करीब 13 मंजिल ऊंचा है, जिनकी ऊंचाई करीब 66 मीटर है। हर मंजिल एक आयताकार शेप में है, जिन्हें बीच में खोखला रखा गया है। देखने में यह मंदिर मिस्र के पिरामिड जैसे आकार का लगता है।

आप यह जानकर शायद हैरान रह जाएंगे कि इतनी विशाल और भव्य इमारत बिना किसी नींव के तैयार की गई थी। करीब 1,000 साल बीत जाने के बावजूद बिना नींव का यह मंदिर आज भी बिना किसी नुक्सान के खड़ा हुआ है।

Shadow of the dome is not formed नहीं बनती गुंबद की परछाई
इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य इसका वास्तुशिल्प है। इस वास्तुशिल्प के पहले दो रहस्य यानी बिना नींव और बिना जोड़ के निर्माण के बारे में आप जान ही चुके हैं।

इसका तीसरा रहस्य है कि इस मंदिर के गुंबद की कोई परछाई नहीं बनती। गुंबद करीब 88 टन वजन का है, जिसके ऊपर करीब 12 फुट का स्वर्ण कलश रखा हुआ है।

खास बात यह है कि न तो सूरज की धूप में इस मंदिर के गुंबद का साया जमीन पर दिखाई देता है और न ही चांद की रोशनी में इसकी परछाई दिखती है। केवल बिना गुंबद के मंदिर की ही परछाई देखने को मिलती है। यह गुंबद एक ही पत्थर से बना हुआ है। ऐसे में इतने भारी पत्थर को इतनी ऊंचाई तक बिना क्रेन से पहुंचाना भी अपने आप में महान इंजीनियरिंग का सबूत है।

13 feet high Shivling 13 फुट ऊंचा शिवलिंग
मंदिर का शिवलिंग भी अद्भुत है, जिसके ऊपर छाया करने के लिए एक विशाल पंचमुखी नाग विराजमान है। इसके दोनों तरफ 6-6 फुट की दूरी पर मोटी दीवारें हैं।

Giant Nandi made of a single stone एक ही पत्थर से बने विशालकाय नंदी
गौपुरम में बने चौकोर मंडप के अंदर विशालकाय चबूतरे पर नंदी की 6 मीटर लंबी प्रतिमा है, जो एक ही पत्थर से तराश कर बनाई गई है। यह भारत की महज दूसरी ऐसी नंदी प्रतिमा है। 

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