Chanakya Niti: इस तरह के राजा से तो न होना ही बेहतर

Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Dec, 2023 10:35 AM

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आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में ऐसी बहुत सी बातें बताई हैं जिन्हें अपनाकर व्यक्ति अपनी सभी परेशानियों से निजात पा सकता है। परेशानियों से बचने के लिए

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में ऐसी बहुत सी बातें बताई हैं जिन्हें अपनाकर व्यक्ति अपनी सभी परेशानियों से निजात पा सकता है। परेशानियों से बचने के लिए अक्सर लोग चाणक्य नीति को अपनाते हैं। कई लोग चाणक्य नीतियों को रामबाण का भी नाम देते हैं। इसी वजह से आज के समय में भी चाणक्य निति बहुत प्रचलित है। चाणक्य कहते हैं कि अपनी प्रजा को खुश रखना ही राजा का सबसे बड़ा धर्म होता है। लेकिन उनका कहना है कि एक राजा अपनी प्रजा को शत्रु और षड्यंत्रों से तो बचा सकता है लेकिन प्रकृति के कोप के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता है। इसमें उन्होंने प्रकृति के कोप को सबसे बड़ा बताया है।

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प्रकृति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है

प्रकृति कोप: सर्वकोपे यो गरीयान्।

भावार्थ: राज्य संचालन में सभी को प्रसन्न रखना एक राजा के लिए सबसे कठिन कार्य होता है। जिस प्रकार राजा अपने राज्य को शत्रु, षड्यंत्रों और गृह कलह से तो बचा सकता है पर प्रकृति के कोप से नहीं बचा सकता। जैसे यदि कहीं पर भूकंप आ जाए, बाढ़, चक्रवात और किसी प्रकार की कोई महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आ जाए तो इन परिस्थितियों में बचाव के अतिरिक्त कुछ नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि चाणक्य ने प्रकृति के कोप को सभी कोपों से बढ़कर बताया है।

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बुरा स्वामी के होने से तो अच्छा स्वामी का न होना है

अविनीतस्वामिलाभादस्वामिलाभ: श्रेयान्।

भावार्थ: राजा यदि विनम्र नहीं है तो ऐसे राजा के होने से तो राजा का न होना ही ठीक है। नेता यदि अविवेकी और दुष्ट प्रवृत्ति का है तो वह कभी अपनी प्रजा का भला नहीं कर सकता। वह देश को सदैव नुकसान ही पहुंचाएगा।

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