Chanakya Niti: जानिए कौन से लोग कभी नहीं संजो पाते धन-संपत्ति ?

Edited By Updated: 18 May, 2025 09:02 AM

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चाणक्य नीति भारतीय प्राचीन ग्रंथों में से एक है, जिसमें जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर चर्चा की गई है। आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कुछ ऐसे सिद्धांत दिए हैं जो आज भी प्रासंगिक माने जाते हैं

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Chanakya Niti: चाणक्य नीति भारतीय प्राचीन ग्रंथों में से एक है, जिसमें जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर चर्चा की गई है। आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कुछ ऐसे सिद्धांत दिए हैं जो आज भी प्रासंगिक माने जाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू है धन संचय और उसकी स्थिरता। चाणक्य का मानना था कि कुछ विशेष गुण और आदतें ऐसी होती हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति के पास पैसा नहीं टिकता। आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार किन लोगों के पास पैसा टिकना मुश्किल होता है।

आलसी और परिश्रम से भागने वाले लोग
चाणक्य के अनुसार आलस्य किसी भी प्रकार की प्रगति का शत्रु है। जो व्यक्ति मेहनत से बचते हैं और कार्य को टालते रहते हैं, उनके पास पैसा टिकना मुश्किल होता है। परिश्रम के बिना कोई भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती और न ही धन का संचय हो सकता है।

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फिजूलखर्च और असंयमी व्यक्ति
चाणक्य नीति में यह स्पष्ट कहा गया है कि जो लोग अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते और फिजूलखर्ची में लिप्त रहते हैं, उनके पास धन का ठहराव नहीं होता। चाहे कितना भी पैसा कमा लें, यदि उसे सहेजने का हुनर नहीं है, तो वह जल्दी ही समाप्त हो जाएगा।

ईर्ष्यालु और जलन रखने वाले लोग
ईर्ष्या और द्वेष रखने वाले लोग अपना समय और ऊर्जा नकारात्मक विचारों में नष्ट कर देते हैं। ऐसे लोग दूसरों की सफलता से परेशान रहते हैं और खुद को सुधारने के बजाय दूसरों को गिराने में लगे रहते हैं। इस प्रकार की सोच से न केवल मानसिक अशांति होती है बल्कि आर्थिक उन्नति भी प्रभावित होती है।

अनुशासनहीन और अनियंत्रित जीवन जीने वाले लोग
चाणक्य का मानना है कि अनुशासन के बिना सफलता संभव न
हीं है। जो लोग अपने जीवन में समय का प्रबंधन नहीं कर पाते और अनियमित दिनचर्या अपनाते हैं, वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं हो पाते।

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कर्ज लेने की आदत रखने वाले
चाणक्य नीति के अनुसार, जो लोग बार-बार कर्ज लेते हैं और उसे समय पर चुकाने का प्रयास नहीं करते, वे हमेशा आर्थिक संकट में रहते हैं। कर्ज का बोझ न केवल मानसिक शांति को नष्ट करता है, बल्कि आर्थिक प्रगति को भी रोकता है।

स्वार्थी और लोभी लोग
अत्यधिक लालच और स्वार्थ भी आर्थिक समस्या का कारण बनता है। चाणक्य के अनुसार, जो लोग केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं, वे अंततः धन के नुकसान का सामना करते हैं।

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