Chhiteshwar Nath Mandir: 24 घंटों में बना बाबा क्षितेश्वर नाथ मंदिर, अद्भुत है निर्माण कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Nov, 2023 08:28 AM

chhiteshwar nath mandir

भारत अद्भुत देश है। एक से बढ़कर एक रहस्य हैं यहां। अब देखिए न, एक विशाल शिव मंदिर, जो केवल 24 घंटों में निर्मित हुआ है। जी हां, अचरज है

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Baba chhiteshwar nath temple uttar pradesh history: भारत अद्भुत देश है। एक से बढ़कर एक रहस्य हैं यहां। अब देखिए न, एक विशाल शिव मंदिर, जो केवल 24 घंटों में निर्मित हुआ है। जी हां, अचरज है किंतु सत्य है। बाबा क्षितेश्वर नाथ का मंदिर उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित छितौनी गांव में है, जो सैंकड़ों वर्ष पुराना है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से खुद प्रकट हुआ है। सबसे खास बात है कि इस मंदिर का निर्माण महज 24 घंटे के अंदर हुआ है। लगभग 800 साल पहले जिले के छितौनी से कुछ दूरी पर स्थित बहुवारा गांव के एक तपस्वी थे, जो हमेशा ब्रह्मपुर (बिहार) में ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दर्शन हेतु गंगा पार जाते थे। तपस्वी को एक दिन सपने में भोलेनाथ ने छितौनी में होने का संकेत दिया। कहा कि इतनी दूर मत जाओ मैं यहीं हूं।  

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खुदाई के उपरांत छितौनी में ही इस शिवलिंग का विग्रह प्राप्त हुआ। शिवलिंग को ऊपर लाने का बहुत प्रयास किया गया। इसे जितना ऊपर लाने का प्रयास होता, शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता। अंतत: लोगों ने महादेव के इस चमत्कार को देखकर शिवलिंग को उसी प्रकार रहने दिया। जमीन के अंदर स्थापित कर लोग इसकी पूजा-याचना करने लगे। कालांतर में यह मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र बन गया।

रामायण काल से है संबंध
मान्यता है कि मंदिर जिस स्थान पर है वहां पर किसी समय में एक प्राचीन मंदिर होता था, जिसकी स्थापना रामायण के कालखंड में स्वयं महर्षि वाल्मीकि जी ने की थी। वाल्मीकि जी के आश्रम में अपने प्रवास काल में सीता जी द्वारा उक्त मंदिर में पूजा की जाती थी। इलाके में वाल्मीकि आश्रम के अवशेष इसका प्रमाण हैं।

यह भी मान्यता है कि माता सीता जी ने मंदिर में शिवलिंग की स्थापना स्वयं की थी। पहले उन्होंने कुश के जन्म के उपरांत कुशेवरनाथ के रूप में शिवलिंग स्थापित किया। बाद में जब वाल्मीकि जी अपना आश्रम अन्यत्र ले गए तो यह स्थान वीरान हो गया और यह शिवलिंग धरती के नीचे दब गया।

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क्षितेश्वर नाम कैसे पड़ा?
यह नाम ‘क्षिति’ यानी ‘पृथ्वी’ और ‘ईश्वर’ यानी ‘भगवान’ को जोड़ कर बना है। यह शिवलिंग जमीन के अंदर से निकला, इसलिए इनका नाम क्षितेश्वर नाथ महादेव रखा गया। जब मंदिर का निर्माण होने लगा तो निर्माण के लिए जो दीवार जोड़ी जाती थी, वह कुछ ही समय बाद गिर जाती थी। अंतत: लोग परेशान होकर काशी के विद्वानों के पास गए तो उन्होंने बताया कि अगर 24 घंटे के अंदर इस मंदिर का निर्माण हो जाता है तो यह नहीं गिरेगा। उन विद्वानों के मतानुसार ही इस मंदिर का निर्माण 24 घंटे के अंदर हुआ और काम सफल हो गया।

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