हकीकत या फसाना: भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है काशी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2019 11:29 AM

connection of kashi and bhole nath

काशी भगवान भोले नाथ की नगरी है जिसका शाब्दिक अर्थ चमकना है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने काशी को कामधेनु का नाम दिया। सबसे प्राचीन सप्तपुरियों में से एक होने के कारण यह मोक्षदायिनी है। इसकी सबसे खास विशेषता है कि यह भारत की आत्मा गंगा के किनारे बसा हुआ...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

काशी भगवान भोले नाथ की नगरी है जिसका शाब्दिक अर्थ चमकना है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने काशी को कामधेनु का नाम दिया। सबसे प्राचीन सप्तपुरियों में से एक होने के कारण यह मोक्षदायिनी है। इसकी सबसे खास विशेषता है कि यह भारत की आत्मा गंगा के किनारे बसा हुआ है। विश्व के सबसे प्राचीन एवं जीवंत शहरों में से एक है। काशी के कण-कण में भगवान शिव विराजमान हैं। एक से एक आपदाएं व प्रलय आईं परंतु इसका विनाश न हुआ। इस पवित्र नगरी की प्राचीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब ग्रीस का एथेंस शहर बसाने का ख्याल भी किसी के मन में नहीं आया था, उस समय भी काशी नगरी अस्तित्व में थी। यहां तक कि रोम और मिस्र भी नहीं थे, तब भी काशी थी। काशी का एक अन्य नाम बनारस भी है। हर शोक, संताप, पाप और रोग का नाश करने वाली तथा सब प्रकार के कल्याणों की खान काशी को कहा गया है।

PunjabKesari KashiBhole Nath

काशी शहर की रचना 
काशी शहर की रचना को बारीकी से देखने पर ज्ञात होता है कि इस शहर का निर्माण एक यंत्र के रूप में कराया गया है। इसका आकार, रूप और वास्तु हू-ब-हू किसी यंत्र जैसा लगता है। यहां यंत्र से अभिप्राय: एक मशीन से है, जो एक निर्धारित परिपाटी पर कार्य करती है। सूक्ष्मता से देखा जाए तो हम पाते हैं कि पृथ्वी स्वयं एक यंत्र की तरह कार्य करती है।

यंत्र प्रणाली में त्रिकोण सबसे मूल यंत्र है। मशीनों का निर्माण कार्यों को सहज करने के लिए किया गया है। एक शहर को किसी यंत्र के स्वरूप में इससे पहले कभी नहीं बनाया गया। यही वजह है कि इसे ‘असाधारण यंत्र’ कहा जाता है। इस यंत्र का संचालन एक विशाल मानव शरीर की तरह स्वत: होता है, इसका सक्रिय होना आवश्यक नहीं।

PunjabKesari KashiBhole Nath

सौरमंडल का छोटा स्वरूप 
काशी नगरी की यह विशेषता है कि इसकी रचना एक सौरमंडल की तरह की गई है। जैसा कि सर्वविदित है कि हमारा सौरमंडल देखने में एक कुम्हार के चाक जैसा लगता है। सूर्य से पृथ्वी के बीच की दूरी सूर्य के व्यास से 108 गुनी है। हम सबके शरीर में 114 चक्र हैं, जिनमें से 112 हमारे भौतिक शरीर में ही हैं, परंतु सामान्य रूप से केवल 108 चक्र ही सक्रिय हैं। जो व्यक्ति अपने शरीर के 108 चक्रों को सक्रिय कर लेता है, उसके शरीर के शेष 4 चक्र अपने आप सक्रिय हो जाते हैं, जिन्हें सक्रियता देने के लिए 108 तरह की योग प्रणालियां हैं। बनारस शहर को इस तरह बसाया गया है जैसे यह पंचतत्वों से बना हो। काशी नगरी की परिधि पांच कोस है।

वास्तुशास्त्रियों के अनुसार काशी नगरी की ज्यामिति कई वृतों की परिक्रमा करने जैसी है। यह सकेंद्रित वृत है जिसकी सबसे बाहर के वृत्त की परिक्रमा की माप 168 मील है। भगवान शिव की नगरी की रचना इसी तरह बनाई गई है, इस रचना का छोटा प्रारूप विश्वनाथ मंदिर है। वास्तविक विश्वनाथ मंदिर की बनावट कुछ इसी प्रकार की है। प्राचीन काल में इसका मूल रूप अत्यंत जटिल था, जो समय के साथ नहीं रहा। 

यहां के कुल शक्ति स्थलों की संख्या 72 हजार है। एक मानव शरीर में नाड़ियों की संख्या भी इतनी ही होती है। इस शहर की निर्माण प्रक्रिया मानव शरीर के ब्रह्मांड के संपर्क में आने के जैसी है। यह ब्रह्मंडीय संरचना और मानवीय शरीर दोनों के मिलन का उदाहरण है। सहज रूप में देखें तो एक शहर के रूप में एक यंत्र है। साथ ही यह भी कहा जा सकता है, कि इसके माध्यम से ब्रह्मांड की संरचना से जुडऩे के लिए एक छोटे ब्रह्मांड की रचना की गई है। दोनों को आपस में जोडऩे के लिए 468 मंदिरों का निर्माण किया गया है। इसमें चंद्र के 13 माह, 9 ग्रह, 4 दिशाएं, इन सभी का गुणन फल 468 है। इन मंदिरों में 54 मंदिर भगवान भोलेनाथ और इतने ही (54) मंदिर शक्ति या देवी मंदिर हैं।

PunjabKesari KashiBhole Nath

जिस तरह मानव शरीर में आधा भाग पिंगला और आधा इड़ा का होता है। सीधा भाग पुरुष और शेष आधा नारी का है। इसी वजह से भगवान शिव को अद्र्धनारीश्वर का रूप कहा गया है। एक समय था कि जब यहां सभी 468 मंदिरों में पूजा हुआ करती थी, इसी के चलते यह नगरी विश्व भर में यश और सम्मान के केंद्र के साथ ही संगीत, कला, शिल्प,व्यापार और शिक्षा का केंद्र बनी हुई है। देश के सबसे बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति यहां से हैं। 

इस शहर के विषय में एक अन्य मान्यता के अनुसार पूरा विश्व भारतीय गणित का कायल है और यह गणित बनारस से ही विश्व को गया है। इस शहर रूपी यंत्र के निर्माण का विचार अद्भुत और अविश्वनीय तो था परंतु सराहनीय भी था। इसकी इसी आभा के चलते विश्व का प्रत्येक व्यक्ति इस शहर में आना चाहता है। पौराणिक और अद्भुत घटनाओं का यह शहर गवाह रहा है। वाराणसी जिसे काशी शहर भी कहा जाता है, इसका आध्यात्मिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व है। हर व्यक्ति चाहता है कि अपने जीवन का अंतिम समय वह इस शहर में गुजारे।

PunjabKesari KashiBhole Nath

गौरवशाली नगरी 
काशी नगरी का इतिहास गौरवशाली रहा है।  हजारों सालों से विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते रहते हैं। यह वही स्थान है जहां गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था, इसका वर्णन न केवल भारतीय पुस्तकों और शास्त्रों में मिलता है बल्कि विश्व के कई यात्रियों ने अपनी यात्राओं के वर्णन में इस शहर की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। एक यात्री के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय जो आज विश्व का सबसे महान शिक्षा केंद्र माना जाता है वह इस शहर में उपलब्ध कुल ज्ञान की एक बूंद के जैसा है। आर्यभट्ट जैसे विद्यावान यहीं से रहे। हर विषय की शिक्षा यहां दी जाती रही है और गणित की शिक्षा यहां अपने चरम पर थी। ज्ञान, कला और आध्यात्मिकता इस शहर की संस्कृति की पहचान रही है। यहां की मिट्टी को मंदिर में रखें तिलक की थाली के समान सम्माननीय स्थान दिया गया है।

काशी के बारे में कहा जाता है कि यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है। यही वजह है कि कहा जाता है कि काशी जमीन पर नहीं, बल्कि जमीन के ऊपर है। इस नगरी के विषय में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां स्वयं वास करते हैं। कहा जाता है कि जो काशी नगरी में प्राण त्यागता है, वह मोक्ष पाता है इसीलिए यहां मरना मंगल है, चिताभस्म यहां आभूषण समान है। गंगा का जल औषधि है और वैद्य जहां केवल नारायण हरि हैं। काशी अगर भोलेनाथ की है तो नारायण की भी है। इसे हरिहर धाम के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू मिथकों में इस नगरी के महत्व का वर्णन नहीं किया जा सकता। 

काशी में मणिकर्णिका, सिंधिया जैसे अनेक घाट हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा मृत्युंजय महादेव, मार्कंडेय महादेव, काल भैरव मंदिर, नया काशी विश्वनाथ मंदिर आदि शामिल हैं। 

बनारस अपना ऐतिहासिक और पारम्परिक महत्व रखता है। यह शहर अपने आप में कई मिथक समेटे हुए है। काशी शिव और पार्वती द्वारा सृजित भूमि है। इसे हिन्दू धर्म का नाभिस्थल भी कहा गया है। एक के बाद एक अनेक किंवदंतियां इस शहर की गरिमा को अलंकृत करती हैं। मानव शरीर, तत्व, आत्मा और मोक्ष को मार्ग दर्शाता है। यहां की ऊर्जा कुछ ऐसी है कि आने वाला प्रत्येक व्यक्ति चकित हो जाता है।  

PunjabKesari KashiBhole Nath

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!