Dharmik Katha: सम्मान देने से सम्मान बढ़ता है

Edited By Updated: 14 Sep, 2021 05:51 PM

dharmik katha in hindi

सम्राट अशोक एक बार अपने मंत्रियों के साथ कहीं जा रहे थे, तभी रास्ते में उनको एक भिखारी दिखाई दिया। सम्राट अपने रथ से नीचे उतरे और उस भिखारी के पास जाकर अपने सिर को बड़ी ही नम्रता के साथ उसके सामने झुकाया

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सम्राट अशोक एक बार अपने मंत्रियों के साथ कहीं जा रहे थे, तभी रास्ते में उनको एक भिखारी दिखाई दिया। सम्राट अपने रथ से नीचे उतरे और उस भिखारी के पास जाकर अपने सिर को बड़ी ही नम्रता के साथ उसके सामने झुकाया और फिर आगे बढ़ गए। यह देखकर उनके मंत्री आश्चर्य में पड़ गए। उनमें से एक मंत्री को यह अच्छा नहीं लगा और उसने सम्राट से कहा, ‘‘महाराज! आप इतने बड़े सम्राट हैं फिर आपने भिखारी के सामने सिर क्यों झुकाया? यह आपकी शान के खिलाफ है।’’ इस पर सम्राट ने कहा कि मैं तुमको इसका जवाब कल दूंगा।

अगले दिन सम्राट ने उस मंत्री को अपने पास बुलाया और एक थैले में तीन सिर डालकर मंत्री को देते हुए कहा कि इसको बेच आओ। इस थैले में एक सिर भैंसे का, एक बकरी का और एक मनुष्य का था। मंत्री ने पूरे दिन कोशिश की लेकिन कोई भी सिर खरीदने को तैयार नहीं था। मंत्री ने आकर यह बात सम्राट को बताई और कहा कि कोई भी इनको खरीदने को तैयार नहीं है। इस पर सम्राट ने इन सभी सिर को मु त में बांट देने की आज्ञा दी। 

मंत्री इन सिर को बांटने के लिए निकल पड़े लेकिन केवल भैंसे और बकरी का सिर ही बांट सके क्योंकि मनुष्य का सिर लेने के लिए कोई तैयार नहीं था। इसको लेकर मंत्री सम्राट के पास वापस आए और उनको पूरी बात बताई। यह सुनकर सम्राट मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘यही तु हारे कल के प्रश्र का उत्तर है। आप ही सोचें कि जिस सिर का कोई उपयोग नहीं, जो किसी काम नहीं आने वाला उसको किसी सज्जन के सामने झुकाने में संकोच क्यों करना।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सम्मान देने से सम्मान बढ़ता है और अमीर-गरीब, ऊंच-नीच का भेद सम्मान की मूल भावना का लोप कर देता है।’’ 
 

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