Dussehra: आइए जानें, विजय दशमी से जुड़ी रोचक बातें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Oct, 2023 07:32 AM

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विजय दशमी शब्द संस्कृत शब्द विजय और दशमी से लिया गया है। दशमी का मतलब हिन्दू महीने के 10वें दिन से है। भगवान श्री राम ने दशमी के दिन ही रावण का वध किया और उस पर जीत हासिल की इसलिए

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2023 Vijayadashami: विजय दशमी शब्द संस्कृत शब्द विजय और दशमी से लिया गया है। दशमी का मतलब हिन्दू महीने के 10वें दिन से है। भगवान श्री राम ने दशमी के दिन ही रावण का वध किया और उस पर जीत हासिल की इसलिए दशहरा पर्व को विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है।

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Dussehra 2023: ‘दशहरा’ शब्द भी संस्कृत से लिया गया है। ‘दश’ का अर्थ दशानन अर्थात 10 मुख वाले रावण से है और ‘हारा’ का संबंध रावण को राम से मिली पराजय से है। अत: इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के पर्व के रूप में मनाया जाता है। मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को उसके पापों की सजा देने के लिए उससे प्रचंड युद्ध किया जो नौ दिन और नौ रात्रि चला। अत: दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध कर दिया।

पुरातन काल से ही योद्धा नवरात्र काल में शक्ति पूजा करते आ रहे हैं। आश्विन नवरात्रों में सिद्धि प्राप्ति में प्रकृति भी सहायक होती है। विजय दशमी सिर्फ एक पर्व ही नहीं, यह प्रतीक है असत्य पर सत्य की जीत का, साहस का, नि:स्वार्थ सहायता और मित्रता का। यह पर्व संदेश देता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।

इस बात को समझाने के लिए दशहरे के दिन रावण के प्रतीकात्मक रूप का दहन किया जाता है। अगर सामाजिक तौर पर इस पर्व के महत्व की बात करें तो यह पर्व खुशी और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक है।

चूंकि रावण के साथ लड़ाई के समय शस्त्रों का भी इस्तेमाल हुआ था इसलिए दशहरे को शस्त्र पूजा के साथ भी जोड़ा जाता है। हमें हमारी संस्कृति के ही कुछ पन्नों से आगे बढऩे की उम्मीद मिलती है। रामायण हमें सीख देती है कि चाहे असत्य और बुराई की ताकतें कितनी भी ज्यादा हो जाएं पर अच्छाई के सामने उनका वजूद एक न एक दिन मिट कर रहता है।

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अंधकार की इस मार से मानव ही नहीं भगवान भी पीड़ित हो चुके हैं लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का साथ दिया। भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के समय रावण ने सीता माता का हरण किया था। उससे सीता जी को मुक्त कराने के लिए प्रभु श्री राम और उनकी सेना ने दस दिन युद्ध किया था जिसमें रावण का अंत हुआ।

दशहरे का पर्व दस पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा प्रदान करता है। दशहरा भारत के उन त्योहारों में से है, जिसकी धूम देखते ही बनती है। बड़े-बड़े पुतले और झांकियां इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण हैं। रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों के रूप में लोग बुरी ताकतों को जलाने का प्रण लेते हैं।

इस दिन जलेबी खाने का खास महत्व है। दशहरा आज भी लोगों के दिलों में भक्ति भाव जगा रहा है। इसे देश के हर हिस्से में मनाया जाता है। बंगाल में इसे नारी शक्ति की उपासना और माता दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए श्रेष्ठ समय में से एक माना जाता है।

बंगाल में लोग 5 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं जिसमें चार दिनों का अलग महत्व है। ये पूजा के सातवें, आठवें, नौवें और दसवें दिन होते हैं जिन्हें क्रमश: सप्तमी, अष्टमी, नौवीं और दशमी के नाम से जाना जाता है। दसवें दिन प्रतिमाओं की झांकियां निकाल कर गंगा में उन्हें विसर्जित किया जाता है। गुजरात में गरबा, हिमाचल में कुल्लू का दशहरा पर्व देखने योग्य होता है।
दशहरे पर तीन पुतलों को जला कर भी हम अपने मन से झूठ, कपट और छल को नहीं निकाल पाते। हमें दशहरे के असली संदेश को अपने जीवन में अमल में लाना होगा तभी इस पर्व को मनाना सार्थक होगा।

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