Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Mar, 2024 09:26 AM
एक बार भगवान गौतम बुद्ध के शिष्य जानना चाहते थे कि मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है। शिष्यों की बात मान कर बुद्ध जी ने एक कहानी सुनानी शुरू की।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Lord Gautama Buddha story: एक बार भगवान गौतम बुद्ध के शिष्य जानना चाहते थे कि मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है। शिष्यों की बात मान कर बुद्ध जी ने एक कहानी सुनानी शुरू की। यह कहानी थी एक जल्लाद और भिक्षुक की। किसी राज्य का मुख्य जल्लाद, जिसने बहुत से गुनहगारों को दंड दिया था अब वह रिटायर होकर राज्य से बाहर एक कुटिया बनाकर जीवन व्यतीत कर रहा था। उसे हमेशा लगता था कि उसने कई लोगों की हत्या की है, वह बहुत पापी है।
एक दिन उसके दरवाजे पर किसी की आवाज आई। उसने बाहर जाकर देखा तो एक भिक्षुक खड़ा था। जल्लाद के मन में आया कि जिंदगी भर तो मैंने हत्याएं ही की हैं, आज मौका मिला है कुछ पुण्य कमाने का तो इसे गंवाना नहीं चाहिए। उसने भिक्षुक को अंदर बुलाया और अपनी खाने की थाली उसे दे दी। भोजन करके भिक्षुक ने जल्लाद से बातचीत शुरू कर दी।
जल्लाद ने भिक्षुक को अपने जीवन की सारी कहानी सुनाई। जल्लाद की वेदना सुनकर भिक्षुक ने पूछा कि क्या तुमने वे जीव हत्याएं अपनी मर्जी से की थीं ?
जल्लाद ने कहा, नहीं मैं तो बस अपने राजा की आज्ञा का पालन कर रहा था। तब भिक्षुक ने कहा, तब तुम अपराधी कैसे हुए ? तुम तो अपने राजा के आदेशों का पालन कर रहे थे।
जल्लाद को अहसास हुआ कि वह किसी गलत काम के लिए जिम्मेदार नहीं था उसका कोई दोष नहीं है। इस प्रकार जल्लाद का मन शांत हुआ। फिर भिक्षुक ने जल्लाद को उपदेश दिया और उससे विदा ले ली। भिक्षुक को विदा करके जब जल्लाद वापस घर में आया, उसकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद उसको मोक्ष प्राप्त हुआ।