Good friday: जानें, इतिहास की सबसे प्रसिद्ध शहादत प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु का सच

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Mar, 2018 10:05 AM

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प्रभु यीशु मसीह मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर उस धर्म की स्थापना करने के लिए आए जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर स्वर्ग के राज के लिए तैयार करता है। उन्हें ऐसे धर्म की स्थापना करने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा जो एक

प्रभु यीशु मसीह मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर उस धर्म की स्थापना करने के लिए आए जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर स्वर्ग के राज के लिए तैयार करता है। उन्हें ऐसे धर्म की स्थापना करने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा जो एक-दूसरे को प्यार करने, माफ करने, शत्रुओं को, पड़ोसियों को भी प्यार करने की प्रेरणा देता है। इसके लिए उन्होंने अपना रक्त बहाया, यहां तक कि धर्म और न्याय की स्थापना करने तथा मनुष्य को पाप की दलदल से निकालने के लिए उन्हें दर्दनाक सलीबी मौत झेलनी पड़ी ।


प्रभु यीशु मसीह को उस समय की रोम सरकार ने सलीब पर चढ़ाया। तब रोम में सबसे संगीन जुर्म करने वाले दोषी को सलीबी मौत दी जाती थी। दोषी को सलीब पर चढ़ाने से पहले यातनाएं दी जाती थीं और जलील किया जाता था। उस समय के हाकिमों ने प्रभु यीशु मसीह के साथ भी यही किया। 


प्रभु यीशु मसीह की सलीबी मृत्यु इतिहास की सबसे प्रसिद्ध शहादतों में से एक है। उन्होंने खुद अपनी सलीब जो लकड़ी की बनी हुई थी (और एक खोज के अनुसार जिसका भार लगभग 136 किलोग्राम तक तथा जो 14 फुट ऊंची और 6 फुट चौड़ी होती थी और जिसका आकार क्रॉस के जैसा होता था) उठा कर 600 मीटर का सफर तय करके 2000 फुट ऊंची  गुलगुश्रा (खोपड़ी) नामक पहाड़ी पर लेकर गए जहां उनको सलीब दिया गया। 


इस दर्दनाक सलीबी यात्रा दौरान प्रभु तीन बार गिरे और इस दौरान एक बार शमाऊन कुरैनी नाम के व्यक्ति ने प्रभु को सलीब उठाने में मदद की। प्रभु 6 घंटे सलीब पर रहे (मरकुस 15:27) अर्थात तीसरा पहर सुबह 9 बजे से शाम 3 बजे तक बताया गया है। परमेश्वर ने दोपहर से तीसरे पहर तक धरती पर पूर्णत: अंधेरा कर दिया (मरकुस 15:33) यीशु की मौत तीसरे पहर हुई । 


प्रभु यीशु मसीह का बलिदान दिवस गुड फ्राइडे के तौर पर बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। इनके दु:खों को याद करते हुए इस दिन से पहले 40 रोजे रखते हैं क्योंकि मसीह विश्वासी इस पवित्र दिन को अपने जीवन मेें विशेष महत्व देते हुए कबूल करते हैं कि प्रभु यीशु मसीह ने अपना बहुमूल्य बलिदान देकर उनके लिए मुक्ति का रास्ता खोल दिया है। इन दिनों में मसीह विश्वासी दुआ में रहते हैं और गिरजाघरों में आयोजित प्रार्थना सभाओं में प्रभु यीशु मसीह ने जो मानवता के भले के लिए सलीब पर दु:ख उठाए, का जिक्र किया जाता है।  

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