Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Feb, 2023 10:34 AM

एक संन्यासी किसी राजा के पास पहुंचा तो राजा ने उसका खूब आदर मान किया। संन्यासी कुछ दिन वहीं रुक गया।
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Inspirational Story: एक संन्यासी किसी राजा के पास पहुंचा तो राजा ने उसका खूब आदर मान किया। संन्यासी कुछ दिन वहीं रुक गया। राजा ने उससे कई विषयों पर चर्चा की और अपनी जिज्ञासा सामने रखी। संन्यासी ने बड़े विस्तार से राजा के सभी सवालों के जवाब दिए। जाते समय संन्यासी ने राजा से अपने लिए उपहार मांगा तो राजा ने बोला कि जो मेरे राजकीय खजाने में है आप उसमें से कुछ भी अपने लिए ले सकते हैं।
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संन्यासी ने राजा से बोला कि खजाना तुम्हारी सम्पत्ति नहीं है वह तो राज्य की है और तुम तो मात्र एक संरक्षक हो। इस पर राजा ने कहा महल ले लीजिए तो संन्यासी बोले यह भी तो प्रजा का ही है तो राजा ने हथियार डालते हुए कहा कि तो फिर आप ही बता दीजिए और इस मुश्किल को आसान कीजिए। आप ही बताएं कि ऐसा क्या है जो मेरा है और मैं आपको दे सकूं।

संन्यासी ने कहा राजन अगर हो सके तो अपने घमंड का दान मुझे दे दो क्योंकि अहंकार में व्यक्ति दूसरे से खुद को श्रेष्ठ समझता है। इसी वजह से जब वह किसी को अधिक सुविधा सम्पन्न देखता है तो उससे ईर्ष्या कर बैठता है। हम अपनी कल्पना में पूरे संसार से अलग हो जाते हैं, राजा संन्यासी का आशय समझ गए थे।
