Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Sep, 2025 02:53 PM

Kanya Pujan significance: कन्या पूजन केवल नवरात्रि की पूर्णाहुति नहीं बल्कि एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमें नारी शक्ति के आदर और महत्व का बोध कराता है। यह साधना व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य, ज्ञान, शक्ति और मुक्ति तक प्रदान करने वाली मानी गई है।
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Kanya Pujan significance: कन्या पूजन केवल नवरात्रि की पूर्णाहुति नहीं बल्कि एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमें नारी शक्ति के आदर और महत्व का बोध कराता है। यह साधना व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य, ज्ञान, शक्ति और मुक्ति तक प्रदान करने वाली मानी गई है। शास्त्रों का स्पष्ट कथन है कि – "कन्याओं की पूजा करने वाला भक्त जीवन में कभी दुःख, दरिद्रता या विघ्नों का सामना नहीं करता।" अतः कन्या पूजन करते समय न केवल धार्मिक भावना रखें बल्कि इसे समाज में स्त्री सम्मान और शक्ति उपासना का उत्सव मानें।
Scriptural basis of Kanya Puja कन्या पूजा का शास्त्रीय आधार
देवी भागवत पुराण: कन्या पूजन को सर्वोत्तम अनुष्ठान बताया गया है।
मार्कण्डेय पुराण (देवी महात्म्य): नवदुर्गा की उपासना में कन्याओं को विशेष महत्व दिया गया है।
कुलाचार्य मत: कन्या पूजन को ‘दुर्गा साधना की पूर्णाहुति’ माना गया है।

कन्या पूजन का महत्व: देवी भागवत पुराण, देवी महात्म्य (मार्कण्डेय पुराण) और अनेक तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित है। नवरात्रि के अंतिम दो दिनों (अष्टमी व नवमी) को कन्या पूजन का विधान सबसे अधिक माना गया है, किंतु कुछ लोग इसे सप्तमी से भी प्रारंभ करते हैं।
कन्या पूजन का आध्यात्मिक महत्व: शास्त्रों में कन्या को देवी स्वरूप माना गया है। जिस प्रकार देवी दुर्गा त्रैलोक्य का पालन करती हैं, वैसे ही कन्या पूजन से भक्त को सभी सिद्धियां और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह साधना सर्वपाप नाशक मानी गई है।

कन्या पूजन का सामाजिक महत्व: कन्या पूजन हमें स्त्री शक्ति का सम्मान करना सिखाता है। समाज में नारी की प्रतिष्ठा और समानता का संदेश इस विधि से गहराई से जुड़ा हुआ है।
कन्या पूजन का पारिवारिक महत्व: परिवार में सौभाग्य, संतति सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। कन्या पूजन से घर में मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का वास माना जाता है।