Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Nov, 2024 01:39 PM
History of Kedarnath Dham: हर युग में भगवान शिव के बहुत सारे भक्त हुए हैं। जिन्होंने उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए घोर से घोर तप किए। उनमें से एक भक्त हुए हैं नर-नारायण। जिनकी भक्ति की कथाएं आज भी वैष्णवों के मुख से सुनी जाती हैं।
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History of Kedarnath Dham: हर युग में भगवान शिव के बहुत सारे भक्त हुए हैं। जिन्होंने उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए घोर से घोर तप किए। उनमें से एक भक्त हुए हैं नर-नारायण। जिनकी भक्ति की कथाएं आज भी वैष्णवों के मुख से सुनी जाती हैं। वैसे तो उनकी भक्ति की शक्ति से संबंधित बहुत सारी कथाएं शास्त्रों में वर्णित हैं लेकिन केदारनाथ धाम से जुड़ी ये कथा अतुलनिय है। आईए जानें, कैसे उन्होंने शिव जी की आराधना की और कैसे केदारनाथ धाम का निर्माण हुआ।
Legend of Kedarnath Temple: भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र धर्म की पत्नी का नाम रुचि था। उनके गर्भ से श्री हरि ने नर और नारायण नाम के दो महान तपस्वियों के रूप में धरती पर जन्म लिया। नर और नारायण विष्णु जी के 24 वें अवतार थे। जन्म के बाद उनकी रूचि भक्ति में बढ़ती गई। अपनी माता से आज्ञा लेकर वे उत्तराखंड की पवित्र स्थली बदरीवन और केदार वन में तपस्या करने चले गये। बदरीवन में आज बद्रिकाश्रम बना है। वहीं नर और नारायण नामक दो पहाड़ भी स्थित हैं।
Devraj Indra challenged Nar Narayan: नर और नारायण की तपस्या को देखकर देवराज इंद्र ने सोचा कि ये तप के द्वारा मेरे इंद्रासन को लेना चाहते हैं। ऐसा सोचकर इंद्र ने उनकी तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव, वसंत तथा अप्सराओं को भेजा। उन्होंने जाकर भगवान नर-नारायण को अपनी नाना प्रकार की कलाओं के द्वारा तपस्या भंग करने का प्रयास किया, किंतु उनके ऊपर कामदेव तथा उसके सहयोगियों का कोई प्रभाव न पड़ा। कामदेव, वसंत तथा अप्सराएं श्राप के भय से थर-थर कांपने लगे।
उनकी दशा देखकर नर और नारायण ने कहा, 'तुम लोग मत डरो। हम प्रेम और प्रसन्नता से तुम लोगों का स्वागत करते हैं।'
नर और नारायण की अभय देने वाली वाणी को सुनकर काम अपने सहयोगियों के साथ अत्यन्त लज्जित हुआ। उसने उनकी स्तुति करते हुए कहा- प्रभो ! आप निर्विकार परम तत्व हैं। बड़े-बड़े आत्मज्ञानी पुरुष आपके चरण कमलों की सेवा के प्रभाव से काम विजयी हो जाते हैं। हमारे ऊपर आप अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखें। हमारी आपसे यही प्रार्थना है। आप देवाधिदेव विष्णु हैं।
कामदेव की स्तुति सुनकर भगवान नर-नारायण प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी योगमाया के द्वारा एक अद्भुत लीला दिखाई। सभी लोगों ने देखा कि सुंदर-सुंदर नारियां नर और नारायण की सेवा कर रही हैं। नर नारायण ने कहा- 'तुम इन स्त्रियों में से किसी एक को मांगकर स्वर्ग में ले जा सकते हो, वह स्वर्ग के लिए भूषण स्वरूप होगी।'
उनकी आज्ञा मानकर कामदेव ने अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी को लेकर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया। उसने देव सभा में जाकर भगवान नर और नारायण की अतुलित महिमा के बारे में सबसे कहा, जिसे सुनकर देवराज इंद्र चकित और भयभीत हो गए। इंद्र को श्री नर और नारायण के प्रति अपनी दुर्भावना और दुष्कृति पर विशेष पश्चाताप हुआ।
How Kedarnath was built: नर और नारायण ने शिव जी का दर्शन पाने के लिए घोर तपस्या की। वे बिना कुछ खाए-पिए दिन-रात भोलेनाथ की पूजा करते रहे। लंबे अरसे के बाद शिव जी ने खुश होकर नर-नारयण को दर्शन दिया और वर मांगने को कहा। तब नर-नारायण ने कहा प्रभु हमारी एक ही इच्छा है कि आप इस स्थान में पार्थिव शिवलिंग के रूप में हमेशा रहें एवं इस जगह पर सदैव आपका आशीर्वाद बना रहे। तभी से शिव जी लिंग रूप में केदारनाथ में विराजित हैं। कहा जाता है की इसके आस-पास मंदिरों का निर्माण पांडवों ने करवाया था।