Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 May, 2020 05:51 AM
आज 1 मई, शुक्रवार को बगलामुखी जयंती का पर्व मनाया जाएगा। शक्ति की अधिष्ठात्री मां ‘बगलामुखी’ दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।
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Maa baglamukhi jayanti 2020: आज 1 मई, शुक्रवार को बगलामुखी जयंती का पर्व मनाया जाएगा। शक्ति की अधिष्ठात्री मां ‘बगलामुखी’ दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है। जिसका अर्थ ‘दुल्हन’ अत: मां के आलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है।
मां बगलामुखी का एक नाम पीतांबरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के सामान पीला होता है। अत: साधक को माता बगलामुखी की अराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिएं। आज मां का जन्मदिन है तो पीले रंग के वस्त्र धारण करें और घर में पीले रंग के पकवान बना कर मां को भोग लगाएं।
घर में प्रेम और अपनेपन का माहौल बनाना हो अथवा परिवार को बुरी बलाओं से बचाना हो तो आज घर में विशेष किस्म का तोरण बांधें। इसे एक बार घर के मुख्यद्वार पर बांध दिया तो कोई भी बुरी शक्ति परिवार की एकता को तोड़ नहीं पाएगी। हर बृहस्पतिवार को माता बगलामुखी का ध्यान करते हुए तोरण बदलें।
8 पान के पत्ते और 5 पीपल के पत्ते पीले धागे में पिरोकर तोरण बना लें। ब्रह्ममुहूर्त में घर की पूर्व दिशा में लगाएं। ध्यान रखें, पत्ते ताजे होने चाहिए, खण्डित न हों। जब तोरण सूख जाए तो उसे किसी पवित्र नदी में बहा दें।
वैसे तो आज से तोरण बांधना आरंभ करेंगे तो उत्तम रहेगा। संभव न हो तो गुरुवार के दिन से भी तोरण बांधना आरंभ किया जा सकता है।