Edited By Lata,Updated: 25 Mar, 2020 05:34 PM
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का बहुत महत्व माना गया है। कहते हैं कि माता के भक्तों को इस खास दिनों का बहुत ही इंतजार
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का बहुत महत्व माना गया है। कहते हैं कि माता के भक्तों को इस खास दिनों का बहुत ही इंतजार होता है और आज पहला नवरात्र है व इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना,संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी होता है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरुप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और साथ ही इस दिन जाप किए जाने वाले मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंत्र
वन्दे वाञि्छतलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को माता की आसीम कृपा तो मिलती ही है और साथ ही अगर जातक की कुंडली में चन्द्रमा निर्बल है, तो इस मंत्र के जाप से सब ठीक हो जाता है। देवी शैलपुत्री के हाथ में सुशोभित त्रिशूल जातक की कुंडली के छठे भाव जो कि शत्रुओं का भाव है, उसे निर्बल करता है, अत : शत्रुओं को परास्त करने के लिए भी मां शैलपुत्री की आराधना करनी चाहिए। मां के हाथ में उपस्थित कमल पुष्प, जातक की कुंडली के द्वादश भाव, जो की कुंडली का अंतिम भाव है का प्रतीक है, द्वादश भाव को भी बलिष्ठ करती हैं माता शैलपुत्री।