Edited By Jyoti,Updated: 26 Oct, 2022 09:54 AM

हम सभी को कभी न कभी गुस्सा जरूर आता है। जब हमें गुस्सा आता है उस समय स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता और हमें यह भी नहीं पता चलता कि हम क्या कर रहे हैं। एक बार एक किसान ने अपने पड़ोसी को गुस्से में भला-बुरा कह दिया पर जब बाद में उसे अपनी गलती का अहसास...
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हम सभी को कभी न कभी गुस्सा जरूर आता है। जब हमें गुस्सा आता है उस समय स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता और हमें यह भी नहीं पता चलता कि हम क्या कर रहे हैं। एक बार एक किसान ने अपने पड़ोसी को गुस्से में भला-बुरा कह दिया पर जब बाद में उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो मन दुखी हो गया।
वह एक संत के पास गया और कहा-मैंने अपने पड़ोसी को बहुत गलियां दीं, अपशब्द कहे। मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ है कि मैंने पड़ोसी को गलत कहा है पर अब मैं अपने शब्दों को वापस लेना चाहता हूं। आप उपाय बताइए।
संत ने किसान से कहा-तुम खूब सारे पंख इकट्ठा कर लो और उन्हें शहर के बीचों-बीच जाकर रख दो।
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किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया। तब संत ने कहा-अब जाओ और उन पंखों को इकट्ठा करके वापस ले आओ। किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे। किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा।
तब संत ने उससे कहा-ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है। तुम आसानी से इन्हें अपने सुख से निकाल तो सकते हो,पर चाहकर भी वापस नहीं ले सकते।
अत: कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी करके अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते हैं। शब्द भले ही मुफ्त में मिलते दिखते हों पर हकीकत में हर शब्द की वैसी ही कीमत चुकानी पड़ती है जैसा हम उसका उपयोग करते हैं।
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