Motivational Story: नम्रता से बनती है शिष्टता और मानवता की असली पहचान

Edited By Updated: 25 May, 2025 07:02 AM

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Motivational Story: नम्रता देवत्व के समान है। इसी के द्वारा मनुष्य की शिष्टता प्रकट होती है। लोकजीवन की सारी विभूतियां विनम्रता से ही मिलती हैं। नम्रता सारे सद्गुणों का सुदृढ़ आधार है।

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Motivational Story: नम्रता देवत्व के समान है। इसी के द्वारा मनुष्य की शिष्टता प्रकट होती है। लोकजीवन की सारी विभूतियां विनम्रता से ही मिलती हैं। नम्रता सारे सद्गुणों का सुदृढ़ आधार है। हृदय रूपी तिजोरी में विनय रूपी बहुमूल्य रत्न सुरक्षित करके रखना चाहिए, अंहकार तथा क्रोध रूपी कंकर-पत्थर नहीं। हृदय की शक्ति विनय गुण से बढ़ती है और जिसमें यह शक्ति नहीं होती वह कुछ भी नहीं कर सकता। अविनीत व्यक्ति का मन लंगड़े व्यक्ति की तरह होता है और मन के लंगड़े व्यक्ति को असंख्य देवता भी मिलकर नहीं उठा सकते। विनय के साथ जब मन भी झुकता है तभी झुकना सच्चा कहलाता है।

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विनम्रता से मन के झुकने का प्रथम लक्षण है- मन के अभिमान का गलना। जब तक अहंकार की भावना मन से नहीं निकलती, तब तक किसी महान व्यक्ति को देखकर भी झुकने की भावना नहीं हो सकती। जब तक मन में अहंकार रहेगा, मनुष्य यही समझता रहेगा कि वह सर्वगुण सम्पन्न है, किसी से हीन नहीं। उसकी समझ में नहीं आता कि लघुता-नम्रता श्रेष्ठता का चिन्ह है।दूज के चांद को लघु होने पर भी सभी नमस्कार करते हैं। अत: मन से बड़प्पन की भावना को उखाड़ फेंकना चाहिए। विनम्रता का  प्रधान लक्षण है- कड़वी बात का मीठा उत्तर देना। कड़वा जवाब तो आपको किसी से भी मिल जाएगा। पशु-पक्षी भी ताड़ना-तर्जना का विरोध करते हैं। बिच्छू स्पर्श होते ही डंक मार देता है, सांप पैर पड़ते ही जहर उगल देता है, कुत्ता लाठी दिखाते ही भौंकने लगता है। मनुष्य का तो पूछना ही क्या है? वह तो छोटी सी बात पर मरने-मारने पर उतारू हो जाता है।

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अकड़कर इतराने के साथ चलने से कुछ नहीं होता। कोई भी काम सफलतापूर्वक सम्पन्न नहीं हो पाता। दिखावे का मूल्य एक कानी कौड़ी के बराबर भी नहीं है। असली मूल्य उस मानवता का है जिसमें विष के बदले अमृत देने की शक्ति है। विनय से बड़ी शक्तियां भी वश में हो जाती हैं। यदि कभी अपने प्रति किए गए दुर्व्यवहार के कारण मन में क्रोध जाग्रत हो जाए तो भी उस पर नियंत्रण करना चाहिए। वाणी, शारीरिक मुद्रा अथवा संकेत से उसे किसी भी प्रकार व्यक्त नहीं होने देना चाहिए।

बार-बार इस प्रकार का अभ्यास करने पर क्रोध के प्रतिशोध में बदसलूकी न करने की आदत बन जाएगी। क्रोध में व्यक्ति अपने मन की बात नहीं कहता, वह तो सामने वाले का दिल दुखाना चाहता है। इसलिए नम्रता के साथ मनुष्य को मधुरभाषी भी होना चाहिए। मधुर संभाषण सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है। कौवा किसी से कुछ छीनता नहीं और कोयल किसी को कुछ देती नहीं। बस, नम्रता के साथ मीठा बोलकर सारी सृष्टि को वश में किया जा सकता है।

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