Motivational Story: जिसे दुनिया खोज रही है, कहीं वो खजाना आपके भीतर तो नहीं?

Edited By Updated: 27 Jul, 2025 12:13 PM

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Motivational Story: मन के अनगिनत रोगों में आत्महीनता अर्थात आत्मविश्वास की कमी एक भयंकर बीमारी है। आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति किसी मार्ग का निर्धारण नहीं कर पाता और अनिर्णय की स्थिति उसे भटका देती है।

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Motivational Story: मन के अनगिनत रोगों में आत्महीनता अर्थात आत्मविश्वास की कमी एक भयंकर बीमारी है। आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति किसी मार्ग का निर्धारण नहीं कर पाता और अनिर्णय की स्थिति उसे भटका देती है। आत्महीन व्यक्ति को सही मार्ग दिखाई देने पर भी वह स्वयं को उस पर चलने के योग्य नहीं समझता।

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आत्महीनता के कारण व्यक्ति स्वयं को तुच्छ समझता है। उसके भीतर यह भावना गहरी पैठ बना लेती है कि वह तुच्छ तथा साधनहीन है और दूसरे हर अपेक्षा से उससे श्रेष्ठ एवं साधनसंपन्न हैं। उसमें अनेक त्रुटियां हैं तथा अन्य पूरी तरह निर्दोष हैं। उससे भूलें होती हैं जबकि दूसरे कोई गलती नहीं करते। यदि किसी से प्रेरणा पाकर उनमें कुछ उत्साह आता भी है तो वे पुन: अपने आसपास देखकर निराश हो जाते हैं और उनके जीवन में नीरसता एवं निष्क्रियता समाई रहती है। आत्मविश्वास सफलता का मुख्य रहस्य और पराक्रम का सार है।

आत्महीनता मृत्यु की तरह दुखदायी मानी जाती है परंतु वह जीवन में केवल एक मर्तबा और अंत में ही दुख देती है। आत्महीनता ऐसी मौत है जो पल-पल पर आती है और तिल-तिल करके आंतरिक शांति को जलाती रहती है। आत्महीनता कार्य के मामले में कुल्हाड़ी के समान काटने वाली होती है। साहस के बिना कार्य करना कारागार की सजा भुगतने जैसा है, जिस अवस्था में कार्य बोझ बन जाता है। काम के भार में तबदील हो जाने पर उसे करने में आनन्द नहीं आता। फलस्वरूप कार्य करने में सफलता नहीं मिलती, बल्कि निराशा ही हाथ आती है।

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निराशा आत्महीनता की घोषणा है तथा आशा आत्मा का पंख है। आत्मविश्वास मनुष्य को महान बनाता है और नर को नारायण भी बना सकता है। आत्महीनता व्यक्ति को कायर तथा डरपोक बना देती है। शरीर से दुर्बल असली दुर्बल नहीं है। वास्तविक दुर्बल वह है जो स्वयं को दुर्बल समझता है। आत्महीन कभी भी किसी भी कार्य में सफलता नहीं पाता। उसका कभी विकास नहीं होता। आत्महीनता का रोग मनुष्य जीवन को व्यर्थ बना देता है और इसका लाभ नहीं उठाने देता। अतएव निश्चयपूर्वक समझो कि व्यक्ति के भीतर असीम शक्ति का झरना प्रवाहित होता रहता है। मानव में वही शक्ति है जो महापुरुषों तथा अवतारों में विद्यमान मानी जाती है। आत्मिक शक्ति अपराजेय है। इसलिए आत्मा की प्रसुप्त शक्तियों को जगाकर उनकी रोशनी में सही पथ पर अग्रसर होकर अपना कल्याण सुनिश्चित करें।

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