कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- तरुण सागर जी महाराज

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Aug, 2020 08:21 AM

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प्रभु का प्रसाद जो मिला, जैसा मिला, इसके लिए कोई शिकायत न करें और अगर मनपसंद मिल गया तो गुमान न करें। हर घटना को प्रभु का प्रसाद मानें और उसकी रजा में राजी रहें जो जिंदगी के विषाद को भी प्रभु

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प्रभु का प्रसाद
जो मिला, जैसा मिला, इसके लिए कोई शिकायत न करें और अगर मनपसंद मिल गया तो गुमान न करें। हर घटना को प्रभु का प्रसाद मानें और उसकी रजा में राजी रहें जो जिंदगी के विषाद को भी प्रभु का प्रसाद मानकर चलता है, उसके लिए विषाद भी आशीर्वाद बन जाया करता है। प्रभु से इस बात की शिकायत न करो कि तुम्हें औरों से कम मिला है बल्कि इस बात के लिए धन्यवाद दो कि उसने तुम्हें तुम्हारी पात्रता से ज्यादा दिया है।

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चार कदम तुम चलो
परमात्मा बड़ा दयालु है। वह तुमसे दूर नहीं है, वह तुम्हारे इर्द-गिर्द ही है। परमात्मा तुमसे कहता है तू चार कदम चल कर मेरे दर (मंदिर) आ, मैं हजार कदम चल कर तेरे घर आऊंगा। वहां मेरी-तेरी मुलाकात हो जाएगी। तुम्हें सिर्फ चार कदम चलना है, वह हजार कदम चलने को तैयार है पर तुम इतने बेईमान हो कि चार कदम भी चलने को तैयार नहीं हो। तुम चाहते हो हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा हो जाए।

दिल और दिमाग
मनुष्य के पास तीन प्रकार की उपलब्धियां होती हैं तन, मन और धन। अपना तन और धन भले बीवी बच्चों को दे देना पर अपना मन सिवाय प्रभु के और किसी को मत देना वरना तुम्हारा मन मानसरोवर नहीं बन सकता। दिल में प्रभु का वास होता है और दिमाग में शैतान का। इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले दिल की आवाज सुनने की आवश्यकता है। जो तन और धन की चिंता करे वह गृहसस्थ तथा जो मन और जीवन (समाधि) की चिंता करे वह संत।

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जिस घर में बेटी न हो
कन्या भू्रण हत्या एक कलंक है। इस कलंक को हटाने के लिए संत, समाज और सरकार को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। सरकार तय करे कि जिसके घर बेटी हो उसे ही चुनाव लड़ने के योग्य मानें अथवा उसे ही चुनाव में वरीयता दें। समाज निर्णय करे कि उन घरों में अपनी बेटी नहीं देंगे जिन घरों में बेटियां न हों और संत भी उन घरों का आहार करने के लिए अनदेखा करें जिन घरों में बेटियां न हों।

गुस्से में कोई कुछ कहे तो
घर में ड्राइंग रूम, किचन, डाइनिंग रूम की तरह ही एक कंट्रोल रूम भी होना चाहिए ताकि कभी कोई आऊट-आफ-कंट्रोल हो जाए तो उसमें  जाकर बैठ जाए और सामान्य होने पर बाहर आ जाए।

किसी ने गुस्से में आपको कह दिया कुत्ता और आप भौंकने लगे तो उसने गलत क्या कहा? सामने वाला गुस्से में हो तो आप चुप रहें। गुस्से में कोई कुछ कह दे तो उसे सच न मानें क्योंकि उसे खुद नहीं पता कि वह क्या कह रहा है? 

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