Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 May, 2023 09:02 AM
दो दृष्टियां हैं, एक दृष्टि दुर्योधन जैसी और दूसरी युधिष्ठिर जैसी है। दुर्योधन को पूरी द्वारिका में एक भी आदमी ऐसा नहीं मिला जिसमें कोई विशेषता हो। उधर युधिष्ठिर
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दृष्टि का अंतर
दो दृष्टियां हैं, एक दृष्टि दुर्योधन जैसी और दूसरी युधिष्ठिर जैसी है। दुर्योधन को पूरी द्वारिका में एक भी आदमी ऐसा नहीं मिला जिसमें कोई विशेषता हो। उधर युधिष्ठिर को पूरी द्वारका में ऐसा आदमी नहीं मिला जिसमें कोई विशेषता न हो। युधिष्ठिर को हर आदमी में कोई न कोई विशेषता दिखती है। सम्यकदृष्टि वही है जो कीचड़ में कमल को देख लेती है, दुख में भी सुख खोज लेती है।
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ताकत के साथ त्याग जरूरी
सुधार की प्रक्रिया ऊपर से नीचे की ओर होनी चाहिए। इसलिए जब हम भगवान बाहुबली के मस्तिष्क का अभिषेक करते हैं तो वह जल ऊपर से नीचे की तरफ आता है। मानो वह कह रहा हो कि सुधार की प्रक्रिया शीर्ष पदों पर बैठे लोगों से शुरू होनी चाहिए। परिवर्तन लाने के लिए केवल आचरण ही नहीं बल्कि सत्ता की भी जरूरत है जिनके पास ताकत है, उनमें त्याग भी होना चाहिए।
जरा कोशिश तो करो
जीवन में यदि अच्छा बनना है तो इसके लिए प्रयास करना चाहिए। हम में से कुछ लोग सोचते हैं जो कुछ अच्छा होना था, वह तो हो चुका है, अब कुछ भी अच्छा नहीं होगा। अब भी अच्छा होना बाकी है और वह तुम्हारे द्वारा होगा, तुम जरा कोशिश तो करो। कोशिश करने से क्या नहीं होता।
बनी रहे मुस्कराहट
संकल्प होना चाहिए कि हम अंधेरों के शहर में रोशनी पैदा करेंगे, हर चेहरे पर मुस्काराहट लाएंगे और कोई जरूरतमंद हाथ फैलाए, इससे पहले हमारे हाथ उसके सहयोग के लिए उठ जाएंगे। आज सब ओर एक आदर्श समाज के निर्माण की बात कही जा रही है लेकिन इसके लिए हर चेहरे पर मुस्कराहट लाना जरूरी है।