Narasimha Mandir: नरसिंह जयंती के मौके पर करें इन मंदिरों दर्शन, हर दुख से मिलेगी मुक्ति

Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 May, 2025 02:25 PM

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नरसिंह जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध

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Narasimha Mandir: नरसिंह जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। इस दिन भक्त भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस आर्टिकल में भारत में स्थित प्रमुख नरसिंह मंदिरों के बारे में जानेंगे, जहां नरसिंह जयंती के अवसर पर विशेष पूजन और अनुष्ठान होते हैं।  

नरसिंह देव मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के खेतड़ी क्षेत्र के खरकड़ा गांव में स्थित भगवान नरसिंह देव का मंदिर अत्यंत प्राचीन और पौराणिक महत्व वाला स्थल है। माना जाता है कि यह मंदिर सतयुग से विद्यमान है। इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक और भक्तिमय कथा प्रचलित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में महान तपस्वी भृगु ऋषि ने कठोर तपस्या की थी। उसी समय हिरण्यकश्यप के अत्याचार से त्रस्त होकर भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण कर उसका वध किया था। जब भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का संहार किया, तो उनका उग्र रूप शांत नहीं हो रहा था। भृगु ऋषि, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे, ने भगवान को शांत करने के लिए उनका स्मरण किया। भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान नरसिंह ने खरकड़ा में भृगु ऋषि को दर्शन दिए। कहते हैं कि भगवान नरसिंह ने अपने नाखूनों से एक कुंड का निर्माण किया और उसमें स्नान करके अपने शरीर को साफ किया। इसके बाद भगवान नरसिंह यहीं पर अंतर्ध्यान हो गए। इस घटना के स्मरण में भक्तों ने यहां मंदिर का निर्माण किया, जो आज भी भगवान नरसिंह की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि भगवान नरसिंह के उग्र और करुणामय रूप का भी साक्षी है। नरसिंह जयंती के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भाग लेते हैं।

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नरसिंहपुर मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का नाम ही भगवान नरसिंह के नाम पर पड़ा है। इस जिले में स्थित भगवान नरसिंह का मंदिर भक्तों के आस्था और चमत्कार का प्रमुख केंद्र है। यहां भगवान नरसिंह की प्रतिमा का एक विशेष चमत्कार है जो भक्तों को अचंभित कर देता है। इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रतिमा की खासियत यह है कि चाहे आप इसे बिल्कुल पास से देखें या फिर 100 फीट की दूरी से, प्रतिमा की दृष्टि हमेशा आपकी ओर ही रहती है। ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान नरसिंह हर दिशा से अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए हुए हैं। इस विशेषता के कारण यह मंदिर भक्तों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। नरसिंहपुर का यह नृसिंह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है। कहा जाता है कि इसे एक जाट राजा ने अपने आराध्य भगवान नरसिंह की उपासना के लिए बनवाया था। राजा की भक्ति और भगवान नरसिंह के प्रति उनकी आस्था के कारण ही इस स्थान का नाम नरसिंहपुर पड़ गया।

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हेमाचला लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर, तेलंगाना
तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लूर में स्थित हेमाचला लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और रहस्यमय मंदिर है। यह मंदिर समुद्र तल से 1500 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 150 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। माना जाता है कि यह मंदिर 4000 वर्षों से भी अधिक पुराना है और सदियों से आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। समय की मार को सहते हुए भी यह मंदिर अपनी पवित्रता और दिव्यता को बनाए हुए है। हेमाचला मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति का एक अनोखा रहस्य भक्तों को चकित कर देता है। कहा जाता है कि यदि इस मूर्ति को हल्के से दबाया जाए तो मूर्ति की त्वचा में गड्ढा बन जाता है। और यदि इसे अधिक जोर से दबाया जाए, तो उसमें से रक्त बहने लगता है।

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