Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Feb, 2024 07:25 AM
माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही सूर्य देव का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा को बहुत विशेष माना गया है। बसंत पंचमी और
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Ratha Saptami 2024 : माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही सूर्य देव का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा को बहुत विशेष माना गया है। बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के दो दिन बाद इसे मनाया जाता है। रथ सप्तमी को सूर्य जयंती, अचला सप्तमी, विधान सप्तमी, आरोग्य सप्तमी और माघ सप्तमी भी कहते हैं। तो चलिए जानते हैं रथ सप्तमी के मुहूर्त और नियम जिन्हें अपनाने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
Ratha Saptami 2024 muhurat रथ सप्तमी तिथि और मुहूर्त: पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि की शुरुआत 16 फरवरी सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगी और 17 फरवरी को सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के मुताबिक 16 फरवरी शुक्रवार के दिन भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। मध्याह्न समय - सुबह 11 बजकर 28 मिनट से 01 बजकर 43 मिनट तक
Ratha Saptami Importance रथ सप्तमी का महत्व: आज के दिन सूर्यदेव सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इस वजह से इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। रथ सप्तमी के दिन स्नान और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सारी परेशानियां चली जाती हैं और और आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है। अगर कोई व्यक्ति ग्रह दोष शांत करना चाहता है तो ये दिन सबसे उत्तम है। रथ सप्तमी के दिन सूर्य और उनके घोड़ों की पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है। हर काम में तरक्की होती है।
Ratha Saptami rule रथ सप्तमी के नियम: रथ सप्तमी के दिन हो सके तो फालतू के वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा शांति के माहौल में अपना समय व्यतीत करें। आज के दिन तामसिक भोजन को अपने आप से दूर रखना चाहिए। मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है।
Ratha saptami puja vidhi रथ सप्तमी पूजा विधि: आज के दिन अगर कोई व्रत करता है या नहीं करता, उसे इस विधि से पूजा जरूर करनी चाहिए।
आज के दिन स्नान ध्यान से निवृत्त होकर सूर्य पूजा करनी चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें-
Surya mantra- रसानां पतये नम
पूजा के बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें और फिर आरती करें।