Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jan, 2023 04:43 AM

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही सूर्य देव का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा को बहुत विशेष माना गया है। बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के दो
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Ratha Saptami 2023 : माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही सूर्य देव का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा को बहुत विशेष माना गया है। बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के दो दिन बाद इसे मनाया जाता है। रथ सप्तमी को सूर्य जयंती, अचला सप्तमी, विधान सप्तमी, आरोग्य सप्तमी और माघ सप्तमी भी कहते हैं। तो चलिए जानते हैं रथ सप्तमी के मुहूर्त और नियम जिन्हें अपनाने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
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Ratha Saptami 2023 muhurat रथ सप्तमी तिथि और मुहूर्त: हिंदू कैलेंडर के अनुसार रथ सप्तमी का आरंभ 27 जनवरी 2023 के दिन प्रातः 07:40 मिनट पर होगा और 28 जनवरी दिन सुबह 07:13 मिनट पर इस तिथि का अंत होगा। उदया तिथि के मुताबिक यह पर्व 28 को मनाया जाएगा। रथ सप्तमी के दिन स्नान मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04:24 बजे से लेकर 05:51 तक रहेगा।
Ratha Saptami Importance रथ सप्तमी का महत्व: आज के दिन सूर्यदेव सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इस वजह से इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। रथ सप्तमी के दिन स्नान और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सारी परेशानियां चली जाती हैं और और आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है। अगर कोई व्यक्ति ग्रह दोष शांत करना चाहता है तो ये दिन सबसे उत्तम है। रथ सप्तमी के दिन सूर्य और उनके घोड़ों की पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है। हर काम में तरक्की होती है।
Ratha Saptami rule रथ सप्तमी के नियम: रथ सप्तमी के दिन हो सके तो फालतू के वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा शांति के माहौल में अपना समय व्यतीत करें। आज के दिन तामसिक भोजन को अपने आप से दूर रखना चाहिए। मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है।
Ratha saptami puja vidhi रथ सप्तमी पूजा विधि: आज के दिन अगर कोई व्रत करता है या नहीं करता, उसे इस विधि से पूजा जरूर करनी चाहिए।
आज के दिन स्नान ध्यान से निवृत्त होकर सूर्य पूजा करनी चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें-
Surya mantra- रसानां पतये नम
पूजा के बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें और फिर आरती करें।
