Rudranath Temple: अद्भुत शिव धाम रुद्रनाथ, यहां होते हैं भगवान शंकर के मुख के दुर्लभ दर्शन

Edited By Updated: 08 May, 2025 11:46 AM

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Rudranath Temple: उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित रुद्रनाथ मंदिर, पंच केदार में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। जैसे केदारनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है, वैसे ही रुद्रनाथ मंदिर भी शिव भक्तों के बीच विशेष मान्यता रखता है

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Rudranath Temple: उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित रुद्रनाथ मंदिर, पंच केदार में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। जैसे केदारनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है, वैसे ही रुद्रनाथ मंदिर भी शिव भक्तों के बीच विशेष मान्यता रखता है। पंच केदार में से रुद्रनाथ मंदिर चौथे नंबर पर है। केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही रुद्रनाथ मंदिर में भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।

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पंच केदारों में सबसे पहला केदार, केदारनाथ है, जहां सबसे पहले पांडवों ने भगवान शिव के धड़ के दर्शन किए थे। मध्यमहेश्वर दूसरे केदार के नाम से जाने जाते हैं, यहां पर  शिव के मध्य भाग के दर्शन होते हैं। तीसरे केदार तुंगनाथ में भगवान शिव की भुजा का स्वरूप है। चौथे केदार रुद्रनाथ में शिव के मुख के दर्शन किए जा सकते हैं, जबकि पांचवें केदार कल्पेश्वर में शिव की जटा विराजमान है। इन पंच केदारों में से तीन केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथउत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं, जबकि शेष दो रुद्रनाथ और कल्पेश्वर चमोली जिले में स्थित हैं।

शिव के पंच केदारों में चौथा केदार रुद्रनाथ है, जहां पांडवों को भगवान शिव के मुख के दर्शन प्राप्त हुए थे। रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है। यहां पर ही भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं। स्कंद पुराण में इस स्थान का विशेष उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि यहां देवताओं ने अंधकासुर दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान शिव की आराधना की थी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अंधकासुर के आतंक से मुक्ति का वचन दिया और इस स्थान को अपना प्रिय धाम घोषित किया।

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इसके अलावा इससे जुडी एक और मान्यता है कि यहां पर ही महादेव ने अपनी जटा से वीरभद्र को भी उतपन्न किया था और उन्हें इस जगह पर भगवान शिव के मंत्री के रूप में पूजा जाता है। 

इस मंदिर के साथ-साथ पाण्ड़वों और वन देवियों के और भी मंदिर है और जहां की शोभा में चार चांद लगाते हैं। इसके साथ-साथ यहां सरस्वती सरोवर, मानस सरोवर, नारद कुंड और वैतरणी नदी भी हैं। स्कन्द पुराण में भी इन नदियों का जिक्र किया हुआ है। कहते हैं जो व्यक्ति यहां पर आकर पिंडदान करता है उसका फल हजारों पिंडदान के समान होता है। 
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