Shani Amavasya Pitru Tarpan Pooja: न केवल अपने बल्कि वंश पर लगे दोषों को भी समाप्त करता है शनि तर्पण

Edited By Updated: 23 May, 2025 12:10 PM

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Shani Amavasya Tarpan: शनि व्यक्ति को उसके गुप्त भय, लालसा और असंतोष से मिलवाते हैं। तर्पण उस आत्मिक प्रक्रिया को आरंभ करता है, जिसमें हम अपने भीतर के काले पक्ष को शुद्ध करते हैं। कई जन्मों के अधूरे वादे, संकल्प और मानसिक गांठें, जिनसे हम अनजाने में...

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Shani Amavasya Tarpan: शनि व्यक्ति को उसके गुप्त भय, लालसा और असंतोष से मिलवाते हैं। तर्पण उस आत्मिक प्रक्रिया को आरंभ करता है, जिसमें हम अपने भीतर के काले पक्ष को शुद्ध करते हैं। कई जन्मों के अधूरे वादे, संकल्प और मानसिक गांठें, जिनसे हम अनजाने में बंधे होते हैं, शनि तर्पण से स्वतः शांत हो जाते हैं। तर्पण का शनि से गहरा संबंध है। तर्पण का अर्थ सिर्फ जल अर्पण नहीं होता, यह एक ऊर्जा समर्पण प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने भीतर के दोषों, कष्टों और कर्मबन्धनों को पिघलाकर दिव्य सत्ता को सौंपते हैं। शनि देव न सिर्फ दंडदाता हैं, बल्कि कर्मों के प्रभाव को ट्रांसफ़ॉर्म करने वाले देव हैं। वे आत्मा को तपाकर शुद्धि के रास्ते पर लाते हैं। शनि जयंती उनके अवतरण की तिथि है यानी उस ऊर्जा का जागरण बिंदु हैं।

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शनि जयंती पर क्यों किया जाता है तर्पण
शनि जयंती पर तर्पण करने से कर्म दोष विसर्जन की ऊर्जात्मक खिड़की खुलती है। ब्रह्मांड में कर्मों के पुनर्संयोजन की तरंग सक्रिय होती है। इस दिन तर्पण करने से आपके उन कर्मों की ऊर्जा शनि को सौंप दी जाती है, जो आपको बार-बार जीवन में कष्ट देते हैं।

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पूर्वजों के असंतुलन से मुक्त होने का दुर्लभ दिन
शनि की दृष्टि पूर्वजों के अधूरे कर्मों पर भी होती है। तर्पण के माध्यम से न केवल अपने लिए, बल्कि वंश पर लगे शनि दोष को भी शांत किया जा सकता है।

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शनि तर्पण के 5 अदृश्य लाभ
अचानक रूकती हुई योजनाओं में गति आती है।
न्यायिक मामलों, कोर्ट-केस और सरकारी परेशानियों में राहत मिलने लगती है।
पिता या दादा पक्ष की रुकती हुई संपत्ति या अवसर धीरे-धीरे सक्रिय हो जाते हैं।
दूसरों की निगेटिव सोच और श्राप से बचाव की ऊर्जा बनती है।
आपका भयग्रस्त मन शांत होता है, जिससे निर्णय क्षमता बढ़ती है

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How to perform Shani Tarpan  शनि तर्पण कैसे करें
गुप्त तर्पण विधि: पीपल के पत्ते पर काले तिल, शहद और जल अर्पण करें और कहें: शनि सूक्ष्म पितृ ऋण विनाशाय तर्पयामि नमः
यह गुप्त पितृ-दोष से मुक्ति दिला सकता है और साढ़ेसाती और ढैय्या को शांत करता है।

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तर्पण विधि: पीपल के पेड़ के नीचे काले तिल, जल और कुश से शनि का ध्यान करते हुए कहें, "हे शनिदेव! मैं अपने ज्ञात-अज्ञात कर्मों का भार आपको सौंपता हूं। मेरे और मेरे कुल की छाया को प्रकाशित कर दीजिए।"

यह उच्चारण मन से करें। शनि के सूक्ष्म अनिष्टों को शांत करने के लिए गुप्त तर्पण करें। शनि देव अपूर्व-कार्मिक नियंता हैं। बहुत बार पितरों या पूर्व जन्मों से जुड़ा कोई दायित्व साढ़ेसाती के समय उभरता है। इस कारण शनि जयंती के दिन शनि के निमित्त तर्पण करें।

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