Shardiya Navratri Time for Ghatasthapana and Puja Method: शारदीय नवरात्रि आरंभ, घर पर इस शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से करें घट स्थापना

Edited By Updated: 22 Sep, 2025 06:28 AM

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Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana Shubh Muhurat And Puja vidhi: शारदीय नवरात्रि आरंभ होने वाले हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ होने के कारण इस साल माता का आगमन हाथी पर हो रहा है,...

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Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana Shubh Muhurat And Puja vidhi: शारदीय नवरात्रि आरंभ होने वाले हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ होने के कारण इस साल माता का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो काफी शुभ माना जा रहा है। प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इन नौ दिनों के दौरान हर कोई भक्तिमय रहता है। जगह-जगह पर माता रानी के गीत, भजन आदि सुनाई देते हैं। इसके साथ ही शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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Auspicious time for Kalash or Ghat installation कलश या घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 22 सितंबर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा रात 01 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि की समाप्ति 23 सितंबर को यानी अगले दिन रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा। इस वजह से 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होंगे। इसके साथ ही इस शारदीय नवरात्रि में सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है। वहीं सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। यो दोनों ही मुहूर्त घटस्थापना कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने के लिए शुभ हैं।

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Shardiya Navratri Puja Method शारदीय नवरात्रि पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। प्रथम दिन मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाकर तोरण लगाएं।इसके पश्चात चौकी बिछा के स्वास्तिक बनाएं और माता की मूर्ति को स्थापित करें। इस बात का ध्यान रखें कि उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में ही चौकी और कलश को स्थापित करें। कलश पर नारियल का मुख नीचे की ओर करें और ईशान कोण में ही रखें। इसके पश्चात कलश के ऊपर अशोक के पत्ते लगाएं और कलश के चारों और चुनरी को लपेट के कलावा से बांध दें। अब मां दुर्गा की उपासना करते हुए पूरे विधि-विधान से पूजा करें।

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