Somvati Amavasya: दरिद्रता दूर करने के लिए सोमवती अमावस्या पर इस विधि से करें स्नान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2023 08:43 AM

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सोमवती अमावस्या जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो जाता है कि ऐसी अमावस्या तिथि जो कि सोमवार के दिन आती हो उसे ही सोमवती अमावस्या कहा जाता है। 30 मई 2022 के दिन सोमवार

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Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो जाता है कि ऐसी अमावस्या तिथि जो कि सोमवार के दिन आती हो उसे ही सोमवती अमावस्या कहा जाता है। 17 जुलाई 2023 के दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या तिथि है। प्राचीन काल में सोमवती अमावस्या का आरंभ कहां से हुआ और धार्मिक ग्रंथों में इसका इतना ज्यादा महत्व क्यों है आइए जानें?

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यह घटना आज से लगभग 6000 वर्ष पूर्व तब की है, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। तब पांडवों ने अपने गुरुजनों और भगवान श्री कृष्ण से पूछा, "इतना बड़ा महायुद्ध हुआ है और दोनों पक्षों से भारी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें पांडवों के पूर्वज भी हैं। इन पूर्वजों का पिंडदान करना चाहिए ताकि यह प्रेत योनी में न भटके अपितु इनकी परलोक में गति हो जाए।"

तब गुरुजनों ने इसका समाधान के रूप में बताया, " सोमवती अमावस्या पर अपने सभी पूर्वज, जो मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, उन सभी का इस विशेष अमावस्या पर पिंडदान करने से उन सभी का परलोक गमन हो जायेगा और मुक्ति हो जायेगी।"

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पांडव भगवान श्री कृष्ण के साथ 12 वर्ष तक हरियाणा राज्य के जींद में स्थित पिंड तारक तीर्थ पर सोमवती अमावस की प्रतीक्षा करते रहे ताकि उनके पूर्वजों को मुक्ति की प्राप्ति हो सके परंतु अमावस्या तिथि जो कि सोमवार के दिन हो, ऐसी अमावस्या न आई। तब पांडवों ने अमावस्या तिथि को श्राप दिया, " हे सोमवती अमावस्या ! तुम कलयुग के समय में बार-बार आओगी।"

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पांडवों के दिये श्राप का ही प्रभाव है कि कलयुग में सोमवती अमावस्या बार-बार आती है। यह अमावस्या का विशेष दिन पूर्वजों के निमित्त पिंडदान करने को समर्पित है ताकि उनकी मुक्ति होकर मोक्ष की प्राप्ति हो सके और मुक्ति प्राप्ति पूर्वज अपनी वंशबेल को आर्शीवाद के रूप में देते हैं, जिनके प्रभाव से उनको सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं और दरिद्रता का नाश हो जाता है। 

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इस दिन हमें पवित्र नदियों और सरोवरों में शुभ समय में स्नान करना चाहिए। अगर नदी या सरोवर में न जा सके तो उनके पवित्र जल को घर में ही पानी में कुछ मात्रा में डालकर अवश्य स्नान करना चाहिए। इस दिन सरोवर या नदी में स्नान करने से पहले फल के साथ दक्षिणा एवं कुछ मात्रा में दूध उक्त जल में डालें व स्नान करने की आज्ञा प्राप्त करें। फिर स्नान करें और मन ही मन भगवान श्री हरि विष्णु से अपने पूर्वजों की तृप्ति हेतु प्रार्थना करें और अपने द्वारा जाने-अनजाने किये पापों के प्रायश्चित करें। माता लक्ष्मी को भी सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति व दरिद्रता का नाश करने की प्रार्थना करें। फिर पवित्र सरोवर में स्नान करने के पश्चात अपनी सामर्थ्यानुसार जरूरतमंद व्यक्ति को यथाशक्ति दक्षिणा, फल, वस्त्र, भोजन इत्यादि का दान अवश्य करें। 

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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