Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 May, 2025 07:21 AM

प्रसंग उस समय का है जब सिकंदर महान विश्व विजय करने के लिए अपनी विशालकाय सेना के साथ निकला हुआ था। कई देशों को जीतते हुए वह एक छोटे से देश में पहुंचा और उसे भी जीत लेने के लिए युद्ध प्रारंभ कर दिया। मगर वहां का राजा फिलिप बड़ा ही समझदार था। सिकंदर की...
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Story Of Alexander The Great: प्रसंग उस समय का है जब सिकंदर महान विश्व विजय करने के लिए अपनी विशालकाय सेना के साथ निकला हुआ था। कई देशों को जीतते हुए वह एक छोटे से देश में पहुंचा और उसे भी जीत लेने के लिए युद्ध प्रारंभ कर दिया। मगर वहां का राजा फिलिप बड़ा ही समझदार था। सिकंदर की ताकत देखकर उसने सोच समझकर अपनी रणनीति बनाई, जिसके तहत उसने अपनी संपूर्ण सेना मोर्चे पर खड़ी कर दी और युद्ध का नगाड़ा बजते ही युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी।
युद्ध समाप्ति की घोषणा होते ही सिकंदर के सैनिकों ने राजा फिलिप को कैद कर लिया। उसे सिकंदर के सामने पेश किया गया। सिकंदर बोला, ‘‘अब तुम हमारे गुलाम हो और हम तुम्हारे शासक। मगर तुमने बिना लड़े ही हार क्यों मान ली ?’’
फिलिप ने जवाब दिया, ‘‘बादशाह, आपकी सेना के सामने हमारी सेना कुछ भी नहीं। इस युद्ध में हमारी हार निश्चित थी, तो फिर बेगुनाहों का खून बहाकर क्या लाभ होता?’’
फिलिप के जवाब से प्रभावित होकर सिकंदर ने उसकी बेड़ियां खुलवा दीं। तभी वहां उन्हें कोलाहल सुनाई दिया।

राजा फिलिप ने सिकंदर से पूछा, ‘‘यह बाहर क्या हो रहा है ? सिकंदर ने कहा कि हमारे सैनिक आपके शहर में तबाही मचा रहे हैं और लोगों को लूट रहे हैं।
फिलिप बुद्धिमानी दिखाते हुए कहने लगा-मगर बादशाह, अब यह मेरा नहीं, बल्कि आपका ही शहर है। आप अपने ही शहर और अपनी ही प्रजा को लूट रहे हैं। क्या इसीलिए लोग आपको सिकंदर महान कहते हैं ?”
सिकंदर एक बार फिर राजा फिलिप की बुद्धि का कायल हो गया। उसने तुरंत कत्लेआम और लूटपाट को रुकवाने का आदेश दिया और कहा कि यहां के लोग सचमुच सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें फिलिप जैसा राजा मिला है। उस देश की बागडोर फिलिप को ही सौंपकर वह वापस लौट गया।
