Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Nov, 2025 02:04 PM

Swami Ramakrishna Paramahamsa Story: स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पास एक युवक आया। उनके चरणों में झुककर उसने कहा, ‘‘महात्मन्, मुझे अपना शिष्य बना लीजिए और गुरुमंत्र दीजिए ताकि मैं भी एक संत बन सकूं।’’
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Swami Ramakrishna Paramahamsa Story: स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पास एक युवक आया। उनके चरणों में झुककर उसने कहा, ‘‘महात्मन्, मुझे अपना शिष्य बना लीजिए और गुरुमंत्र दीजिए ताकि मैं भी एक संत बन सकूं।’’
युवक की बात सुनकर परमहंस ने उससे पूछा, ‘‘नवयुवक ! तुम्हारे परिवार में तुम्हारे अलावा और कौन-कौन है ?’’
युवक ने उत्तर दिया, ‘‘मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ मेरी बूढ़ी मां है।’’ परमहंस कुछ देर चुप रहे, फिर पूछा, ‘‘तुम गुरुमंत्र लेकर साधु क्यों बनना चाहते हो?’’ इस पर वह युवक बोला, ‘‘मैं इस मोह माया और ऊंच-नीच से भरे संसार को छोड़कर मुक्ति पाना चाहता हूं।’’
इस पर परमहंस ने समझाया, ‘‘तुम मुक्ति नहीं चाहते, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हो। मुक्ति आदि तो एक बहाना है। तुम्हें लगता है कि साधु बनकर तुम बिना किसी दायित्व के जीवनयापन करोगे। तुम्हारा काम तो चल ही जाएगा, बाकी लोग चाहे जो करें। यह साधना नहीं पलायन है।
आजकल बहुत से लोग ऐसा ही कर रहे हैं। यह अपनी शक्ति का दुरुपयोग है। समझ लो, अपनी बुजुर्ग मां को असहाय छोड़कर तुम्हें मुक्ति कभी नहीं मिलेगी। तुम्हारी सच्ची मुक्ति तो इसी में है कि तुम पूरी शक्ति के साथ अपनी बूढ़ी और असहाय मां की सेवा करो। उनकी सेवा ही ईश्वर की भक्ति है। वैसे भी मां को ईश्वर के समान बताया गया है।’’ युवक उनकी बात समझ गया। उसने साधु बनने की योजना छोड़ दी और घर लौटकर अपनी मां की सेवा में जुट गया।