Edited By Jyoti,Updated: 08 Dec, 2022 12:38 PM
आपने अक्सर देखा होगा कि जो भी इंसान दिल का बहुत साफ होता है जिसने कभी बुरे कर्म नहीं किए उसके साथ हमेशा बुरा होता है। मगर ऐसा क्यों होता है। अच्छे इंसान को ही क्यों बुरा वक्त झेलना पड़ सकता है।अधिकतर लोगों को इसके पीछे का रहस्य नहीं पता होगा।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आपने अक्सर देखा होगा कि जो भी इंसान दिल का बहुत साफ होता है जिसने कभी बुरे कर्म नहीं किए उसके साथ हमेशा बुरा होता है। मगर ऐसा क्यों होता है। अच्छे इंसान को ही क्यों बुरा वक्त झेलना पड़ सकता है।अधिकतर लोगों को इसके पीछे का रहस्य नहीं पता होगा। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है। इसका वर्णन भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने किया है। भगवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है कि उसमें इंसान के मन में उठने वाले हर सवाल का जवाब मिल जाता है। भगवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार एक नगर में दो पुरूष रहते थे। पहला व्यापारी जो बहुत ही अच्छा इंसान था, धर्म और नीति का पालन करता था, भगवान की भक्ति करता था और मन्दिर जाता था। वह सभी तरह के गलत कामो से दूर रहता था। वहीं दूसरा व्यक्ति जो कि दुष्ट प्रवत्ति का था, वो हमेशा ही अनीति और अधर्म के काम करता था। वो रोज़ मन्दिर से पैसे और चप्पल चुराता था, झूठ बोलता था और नशा करता था। एक दिन उस नगर में तेज बारिश हो रही थी और मन्दिर में कोई नहीं था, यह देखकर उस नीच व्यक्ति ने मन्दिर के सारे पैसे चुरा लिए और पुजारी की नज़रों से बचकर वहां से भाग निकला, थोड़ी देर बाद जब वो व्यापारी दर्शन करने के उद्देश्य से मन्दिर गया तो उस पर चोरी करने का इल्ज़ाम लग गया।
वहां मौजूद सभी लोग उसे भला-बुरा कहने लगे, उसका खूब अपमान हुआ. जैसे - तैसे वह व्यक्ति मन्दिर से बाहर निकला और बाहर आते ही एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। वो व्यापारी बुरी तरह से चोटिल हो गया। उसी वक्त उस दुष्ट को एक नोटों से भरी पोटली हाथ लगी, इतना सारा धन देखकर वह दुष्ट खुशी से पागल हो गया और बोला कि आज तो मज़ा ही आ गया। पहले मन्दिर से इतना धन मिला और फिर ये नोटों से भरी पोटली। दुष्ट की यह बात सुनकर वह व्यापारी दंग रह गया। उसने घर जाते ही घर मे मौजूद भगवान की सारी तस्वीरे निकाल दी और भगवान से नाराज़ होकर जीवन बिताने लगा। सालों बाद जब उन दोनों की मृत्यु हो गयी और दोनों यमराज के सामने गए तो उस व्यापारी ने नाराज़ स्वर में यमराज से प्रश्न किया कि ''मैं तो सदैव ही अच्छे कर्म करता था जिसके बदले मुझे अपमान और दर्द मिला और इस अधर्म करने वाले दुष्ट को नोटो से भरी पोटली।
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आखिर क्यों?
''व्यापारी के सवाल पर यमराज बोले''
जिस दिन तुम्हारे साथ दुर्घटना घटी थी, वो तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन था, लेकिन तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गयी। वही इस दुष्ट को जीवन मे राजयुग मिलने की सम्भावनाएं थी, लेकिन इसके बुरे कर्मो के चलते वो राजयोग एक छोटे से धन की पोटली में बदल गया।
इस कहानी को सुनाने के बाद, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि ''भगवान हमें किस रूप में देते हैं इसको समझ पाना बहुत ही मुश्किल है परंतु यह सत्य है कि भगवान हमेशा अच्छे और बुरे कर्मों का फल जरूर देते हैं। अतः व्यक्ति को चाहिए कि जीवन में आने वाली परेशानियों जी घबराना नहीं चाहिए और व्यक्ति को सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि उसका फल किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है।