5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट अब भारत के करीब, रूस ने की Su-57E देने की पेशकश, 'मेक इन इंडिया' को मिलेगा बड़ा बूस्ट

Edited By Updated: 07 Jul, 2025 01:14 PM

5th generation fighter jet now closer to india russia offers su 57e

भारत की रक्षा क्षमताओं को एक नई ऊंचाई देने के लिए रूस ने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। रूस ने एक बार फिर भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 का एक्सपोर्ट वर्जन Su-57E देने की पेशकश की है। इस बार की पेशकश में सबसे खास बात यह है कि रूस ने...

इंटरनेशनल डेस्क। भारत और रूस के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने और भारतीय वायुसेना (IAF) के स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने के लिए रूस ने एक रणनीतिक और दमदार डिफेंस डील भारत को ऑफर की है। इस प्रस्ताव में सुखोई Su-57 (पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर) और Su-35M (4.5 पीढ़ी का एयर सुपीरियरिटी फाइटर) शामिल हैं। यह डील भारत की वायुसेना को न सिर्फ अत्याधुनिक ताकत देगी बल्कि 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

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Su-57E के साथ मिलेगी पूरी टेक्नोलॉजी और सोर्स कोड

सूत्रों के मुताबिक रूस की सरकारी कंपनी रोस्टेक और सुखोई ने हाल ही में भारत को यह महत्वपूर्ण पेशकश की है। इसके तहत भारत को Su-57E फाइटर जेट की पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किए जाने की पेशकश की गई है ताकि इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट में बनाया जा सके। यह वही प्लांट है जहाँ भारत अब तक 220 से ज़्यादा Su-30MKI जेट्स का सफलतापूर्वक निर्माण कर चुका है। इसके अलावा IAF के MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft) टेंडर (114 जेट्स) के लिए Su-35M की सीधी सप्लाई का ऑफर भी दिया गया है।

रूस के इस ऑफर में सबसे खास बात यह है कि Su-57E के साथ न केवल विमान दिया जाएगा बल्कि उसके सोर्स कोड का एक्सेस भी मिलेगा। इसका मतलब है कि भारत बिना रूस की मदद के भी इस विमान में अपने स्वदेशी हथियार और सिस्टम जोड़ सकेगा। इसमें अस्त्र BVR मिसाइल, रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल, और विरुपाक्ष AESA रडार जैसे अत्याधुनिक सिस्टम शामिल हैं। रूस ने यह भी वादा किया है कि वह भारत को Su-57E के 40-60% तक स्थानीय निर्माण (स्वदेशीकरण) में मदद करेगा जो 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा। यह पहल भारत को घरेलू स्तर पर पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी और AMCA प्रोग्राम को भी नई तकनीक में मदद मिलेगी।

 

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त्वरित सप्लाई और भविष्य की योजना

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस भारतीय वायुसेना को पहले चरण में 20 से 30 तैयार हालत में Su-57E स्टील्थ फाइटर जेट्स उपलब्ध कराएगा, ताकि तत्काल आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। इसके बाद अगले 3 से 4 वर्षों में इन विमानों का निर्माण भारत में ही शुरू किया जाएगा। इसके तहत साल 2030 तक भारतीय वायुसेना में लगभग 60 से 70 अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर शामिल किए जा सकते हैं।

साथ ही, रूस ने भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए MRFA टेंडर के तहत Su-35M फाइटर भी ऑफर किया है जिसके तहत भारत को 114 जेट सीधे सप्लाई किए जाएंगे। Su-35M में Su-30MKI जैसा ही सिस्टम होगा जिससे पायलट और तकनीकी स्टाफ को ज़्यादा ट्रेनिंग की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इस डील में नए एडवांस इंजन AL-41F1S और इजडेलिये 177S (1Izdeliye 177S) भी मिलेंगे जिससे Su-30MKI को भी अपग्रेड किया जाएगा। नया इंजन ज़्यादा ताकतवर और टिकाऊ है जिससे भारतीय वायुसेना का बेड़ा और मज़बूत होगा।

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Su-35M: राफेल और F-35 से सस्ता, लेकिन दमदार विकल्प

Su-35M फाइटर जेट की कीमत करीब 65 से 80 मिलियन डॉलर प्रति जेट है जो राफेल (करीब 120 मिलियन डॉलर प्रति जेट) और F-35A (80 से 100 मिलियन डॉलर) की तुलना में काफी सस्ता है। Su-35M में एडवांस हथियार भी लग सकते हैं, जैसे R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है साथ ही इसमें K-77M BVR मिसाइल भी लग सकती हैं। ये क्षमताएँ इसे हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों में या पाकिस्तान के J-10C और भविष्य के J-35 फाइटर जेट्स के खिलाफ ज़्यादा मजबूत बना देती हैं।

भारतीय वायुसेना के पास अभी 31 स्क्वाड्रन हैं जबकि मंजूरी 42 की है। रोस्टेक का दावा है कि Su-35M और Su-30MKI में 70-80% तकनीकी समानता है जिससे IAF के पायलट और ग्राउंड क्रू को ज़्यादा ट्रेनिंग की ज़रूरत नहीं होगी। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में Su-30MKI ने पाकिस्तान एयरफोर्स के बेस पर ब्रह्मोस मिसाइल से स्ट्राइक कर यह साबित भी कर दिया। यूक्रेन युद्ध के चलते रोस्टेक ने Su-35M लड़ाकू विमानों का उत्पादन दोगुना कर दिया है जिससे भारत को हर साल बड़ी संख्या में ये जेट्स सप्लाई किए जा सकते हैं जिससे अगले 2 से 3 सालों में लगभग 2 स्क्वाड्रन यानी 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।

 

चुनौतियाँ और फायदे

हालांकि इस डील में कुछ चुनौतियाँ भी हैं जैसे अमेरिका के CAATSA कानून के चलते भारत पर पाबंदी लग सकती है जैसा S-400 मिसाइल सिस्टम में हुआ था। साथ ही रूस पर पुराने पार्ट्स की सप्लाई में दिक्कतें भी आती रही हैं।

फिर भी अगर यह डील फाइनल होती है तो इसके कई बड़े फायदे होंगे:

  • Su-57E लड़ाकू विमान भारत में ही बनाए जाएंगे जिससे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को बड़ी मजबूती मिलेगी।

  • पुराने Su-30MKI फाइटर जेट्स को नए इंजन के साथ अपग्रेड किया जाएगा जिससे कि वे 2055 तक काम करेंगे।

  • कुल मिलाकर यह प्रस्ताव भारत को स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर बनाने AMCA को नई तकनीक दिलाने और IAF की ताकत को जल्दी बढ़ाने का मौका देता है।

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