अमेरिका जाने वालों के लिए बड़ा झटका: अब लॉटरी नहीं, सैलरी तय करेगी किसे मिलेगा H-1B वीजा

Edited By Updated: 24 Dec, 2025 10:04 AM

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वाशिंगटन से आई एक बड़ी खबर ने उन लाखों भारतीयों की नींद उड़ा दी है जो अमेरिका में करियर बनाने का ख्वाब देख रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने दशकों पुराने 'लॉटरी सिस्टम' को विदा करने का मन बना लिया है। अब अमेरिकी वर्क वीजा (H-1B) 'लक' (किस्मत) से नहीं, बल्कि...

नेशनल डेस्क: वाशिंगटन से आई एक बड़ी खबर ने उन लाखों भारतीयों की नींद उड़ा दी है जो अमेरिका में करियर बनाने का ख्वाब देख रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने दशकों पुराने 'लॉटरी सिस्टम' को विदा करने का मन बना लिया है। अब अमेरिकी वर्क वीजा (H-1B) 'लक' (किस्मत) से नहीं, बल्कि 'लक्स' (लक्जरी सैलरी) से मिलेगा।

यहाँ इस बड़े नीतिगत बदलाव का पूरा विश्लेषण और नया ड्राफ्ट दिया गया है:

H-1B वीजा का नया अध्याय: अब 'किस्मत' नहीं, 'काबिलियत और कीमत' तय करेगी अमेरिका का रास्ता
अमेरिका जाने वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए अब नियम पूरी तरह बदलने जा रहे हैं। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने एक क्रांतिकारी बदलाव का ऐलान किया है, जिसके तहत रैंडम लॉटरी के बजाय अब 'वेज-वेटेड सिस्टम' (Salary-Based Selection) को अपनाया जाएगा। सरल शब्दों में कहें तो, जो कंपनी विदेशी कर्मचारी को जितनी ज्यादा सैलरी देगी, उसे वीजा मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

क्यों खत्म हो रही है दशकों पुरानी लॉटरी?
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) का मानना है कि मौजूदा सिस्टम में कई खामियां थीं। आरोप है कि कई कंपनियां कम वेतन पर विदेशी युवाओं को लाने के लिए लॉटरी सिस्टम का दुरुपयोग कर रही थीं, जिससे स्थानीय अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन और नौकरी पर नकारात्मक असर पड़ रहा था।

27 फरवरी 2026: बदल जाएगी आपकी प्रोफाइल की वैल्यू
नया नियम अगले साल 27 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा। इस सिस्टम के तहत नौकरियों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा:

हाई-स्किल और हाई-पे: सीनियर लेवल और स्पेशलाइज्ड रोल्स वाले प्रोफेशनल्स को सबसे पहले प्राथमिकता मिलेगी।

एंट्री-लेवल प्रोफेशनल्स: कम अनुभव और कम वेतन वाले युवाओं के लिए अब अमेरिका का दरवाजा काफी छोटा हो सकता है।

मेरिट-बेस्ड फोकस: पूरी प्रक्रिया अब 'मेरिट' यानी योग्यता और बाजार मूल्य पर आधारित होगी।

ट्रंप प्रशासन के अन्य कड़े कदम
केवल चयन प्रक्रिया ही नहीं बदली है, बल्कि अमेरिका में बसना अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा होने वाला है:

अतिरिक्त शुल्क: H-1B वीजा पर सालाना 1 लाख डॉलर की भारी भरकम एक्स्ट्रा फीस का प्रस्ताव है।

गोल्ड कार्ड स्कीम: 10 लाख डॉलर खर्च करने वाले अमीर निवेशकों के लिए नागरिकता का सीधा रास्ता खोला गया है।

जांच में सख्ती: वीजा रिन्यूअल से लेकर बैकग्राउंड चेक तक, हर स्तर पर स्क्रीनिंग को कड़ा कर दिया गया है।

किसे मिलेगी राहत, किसे लगेगी चोट?
 टेक दिग्गज और वे कंपनियां जो टॉप टैलेंट को मोटी सैलरी पर हायर करती हैं। हेल्थकेयर और रिसर्च जैसे सेक्टर के लिए यह 'ब्रेन गेन' साबित हो सकता है। IT आउटसोर्सिंग कंपनियां और फ्रेश ग्रेजुएट्स, जो कम वेतन पर करियर की शुरुआत करना चाहते हैं। उनके लिए कम्पटीशन का स्तर अब हिमालय चढ़ने जैसा होगा।

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