अकूत पैसा, सियासी ताकत...बौद्ध भिक्षुओं के घोटालों से हिला चीन, मंदिरों की कमाई पर जिनपिंग सरकार ने कसा शिकंजा

Edited By Updated: 19 Sep, 2025 06:18 AM

china shaken by scandals involving buddhist monks

चीन में हाल ही में बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ मामलों ने सरकार, जनता और धार्मिक संगठनों को झकझोड़ दिया है। प्रमुख मठाधीशों पर अकूत संपत्ति, मंदिरों से हेराफेरी और नैतिक अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंदिर धन, मठों की...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन में हाल ही में बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ मामलों ने सरकार, जनता और धार्मिक संगठनों को झकझोड़ दिया है। प्रमुख मठाधीशों पर अकूत संपत्ति, मंदिरों से हेराफेरी और नैतिक अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंदिर धन, मठों की वाणी और धार्मिक संस्थानों की आर्थिक गतिविधियों पर नए नियम लागू कर दिए हैं।

ताजा मामले और आरोप

नए नियम और प्रशासनिक बदलाव

नई मठाधीश शी यिनले (Shi Yinle) को शी योंगक्सिन के स्थान पर नियुक्त किया गया, जिन्होंने पद संभालते ही विशेष सुधारों की घोषणा की। इनमें मंदिर की दुकानें, उच्च‑मूल्य की धार्मिक अनुष्ठान शुल्क, पर्यटन‑परफ़ॉर्मेंस प्रतिमान, ऑनलाइन मर्चेंडाइज और टिकट‑आधारित व्यापार‑ गतिविधियों का क्रमबद्ध बंद‑बंदी शामिल है। साथ ही भिक्षुओं पर अधिक अनुशासनात्मक दबाव, नियमों के सख्त पालन की मांग की गयी है। उदाहरण के लिए, दलित‑धार्मिक गतिविधियों का सीमित समय, मोबाइल फ़ोन और निजी राजस्व‑उपार्जन पर नियंत्रण आदि।चीनी बौद्ध संघ ने सार्वजनिक बयान जारी किया है कि धार्मिक नेताओं को नागरिक कानूनों का पालन करना होगा — भिक्षु पद उन्हें कानून की सीमा से ऊपर नहीं रखता। उनको कर (tax) देनदारी और पारदर्शी लेखांकन (financial transparency) सुनिश्चित करना होग़ा। 

बदलावों का सामाजिक‑राजनीतिक प्रभाव

मंदिर‑धन से जुड़े विचारों में बड़ा बदलाव आया है: जनता अब धार्मिक संस्थाओं में पारदर्शिता की मांग कर रही है। सोशल मीडिया पर मठों के लक्ज़री जीवनशैली की आलोचना हो रही है (जैसे वीडियो जिसमें भिक्षु सैकड़ों नोट गिनते दिखे)। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक संस्थाएं अब सिर्फ आध्यात्मिक भूमिका निभाएंगी, व्यापार‑ओद्योगिक गतिविधियों को नियंत्रित करना होगा। शी योंगक्सिन के मामले ने यह संकेत दिया है कि चीन के धार्मिक नेतृत्व की राजनीति और वाणिज्यिकरण (commercialization) के बीच संतुलन बिगड़ गया है, और अब सरकार इसे सुधारना चाहती है।

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