यूएई के राष्ट्रपति ने अपने बड़े बेटे को क्राउन प्रिंस बनाया

Edited By DW News,Updated: 30 Mar, 2023 06:42 PM

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यूएई के राष्ट्रपति ने अपने बड़े बेटे को क्राउन प्रिंस बनाया

संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति ने अपने बड़े बेटे को क्राउन प्रिंस बनाया है. खाड़ी देश की राजशाही में इसका मतलब है उन्हें विरासत सौंपना और सत्ता पर परिवार की पकड़ को बनाये रखना.राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान ने अपने बड़े बेटे शेख खालिद को संयुक्त अरब अमीरात के सबसे धनी अमीरात का क्राउन प्रिंस बनाया है. यूएई में यह पद अगले नेता या राष्ट्रपति को देने की परंपरा रही है. 62 साल के शेख मोहम्मद लंबे समय से यूएई के असली शासक रहे हैं, हालांकि उन्हें राष्ट्रपति का पद पिछले साल उनके सौतेले भाई और शेख खलीफा की मौत के बाद मिला. शेख खलीफा बीते कई सालों से खराब सेहत के कारण सत्ता से किनारे कर दिये गये थे. परिवार में कई और लोगों को भी अहम पदों पर नियुक्त किया गया है. मोहम्मद बिन जायेद के भाई शेख मंसूर बिन जायेद को उप राष्ट्रपति बनाने की घोषणा की गई है. शेख मंसूर बिन जायेद मैनचेस्टर सिटी फुटबॉल क्लब के मालिक भी हैं. मोहम्मद बिन जायेद के दो और भाइयों में ताहनून बिन जायेद को यूएई का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और एडीक्यू सॉवरेन वेल्थ फंड का चेयरमैन बनाया गया है जबकि हमजा बिन जायेद को अबू धाबी का उप शासक बनाया गया है. अबू धाबी के पास देश के ज्यादातर बड़े तेल भंडारों की मिल्कियत है. पिछले साल मोहम्मद बिन जायेद के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अटकलें लग रही थीं कि अबू धाबी का क्राउन प्रिंस कौन होगा. शेख खालिद और तहनून दोनों इस रेस में शामिल थे. कौन हैं शेख खालिद शेख खालिद अबू धाबी एग्जिक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और अबू धाबी एग्जिक्यूटिव ऑफिस के चेयरमैन रहे हैं. वह सरकारी कंपनी एडीएनओसी के बोर्ड में भी रहे हैं. वह युवा, खेल और पर्यावरण से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल रहे हैं. एनबीए बास्केटबॉल को यूएई लाने के साथ ही जीयु जीत्सु को बढ़ावा देने में भी उनकी भूमिका रही है. विश्लेषकों का कहना है कि मोहम्मद बिन जायेद अपने बेटे को सुरक्षा, खुफिया सेवा, अर्थव्यवस्था और प्रशासन जैसे मामलों में उच्च पदों का काम दे कर भविष्य के लिए उन्हें तैयार कर रहे थे. यूएई में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे अब्दुल खलेक अबदल्लाह बताते हैं कि शेख खालिद विदेश दौरों में कई बार अपने पिता का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अब्दल्लाह का कहना है, "उनके पिता अभी बतौर राष्ट्रपति अपने शुरुआती दौर में हैं इसलिए शेख खालिद के पास अभी सीखने के लिए बहुत समय है. उन्होंने अपने पिता का भरोसा जीता है. वह लोगों के साथ सहज रहते हैं और आसानी से घुल मिल जाते हैं जो भविष्य के नेता के लिए बहुत जरूरी है." भाई की जगह बेटा यूएई के अमीरातों में अबू धाबी के पास 1971 से ही राष्ट्रपति का पद है, तब मोहम्मद बिन जायेद के पिता ने यह पद संभाला था. उसके बाद से ही यह पद इसी परिवार के पास है. खाड़ी देशों में भाइयों की जगह बेटों को विरासत सौंपने की परंपरा चली आ रही है और नयी घोषणा भी इसी की अगली कड़ी है. संयुक्त अरब अमीरात में शामिल छह दूसरे अमीरातों के नेताओं के साथ ही सऊदी अरब और कतर ने शेख खालिद की नियुक्ति का स्वागत किया है. संयुक्त अरब अमीरात दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में एक है और अमेरिका के साथ ही रूस और चीन का भी एक बड़ा सहयोगी देश है. बीते दशकों में मिस्र और इराक के कमजोर पड़ जाने के बाद मध्यपूर्व में यूएई एक ताकतवर देश बन कर उभरा है. खाड़ी देशों से जुड़े मामलों के जानकार और कुवैत यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर बदर अल सैफ का कहना है, "इस कदम की पहले से ही उम्मीद की जा रही थी, खाड़ी के ज्यादातर देशों में यही मॉडल है....यह ज्यादा स्थिरता के साथ ही आसान विरासत मुहैया कराता है. सत्ता पर अपने परिवार की पकड़ को मजबूत रखने का इरादा कोई रहस्य नहीं है. आज की घोषणा से इसकी दोबारा पुष्टि हो गई है." संयुक्त अरब अमीरात की आबादी एक करोड़ से भी कम है और यहां मोटे तौर पर आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता रही है. यह दुनिया में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में है. यहां लाखों की तादाद में विदेशी कामगार रहते हैं जिनका यहां की अर्थव्यवस्था चलाने में बड़ा योगदान है. एनआर/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)

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