Edited By Tanuja,Updated: 07 Aug, 2025 03:49 PM

कभी परमाणु हथियारों की दौड़ पर नियंत्रण के लिए अमेरिका और सोवियत संघ (अब रूस) के बीच कई ऐतिहासिक संधियाँ हुईं, लेकिन अब वे लगभग समाप्त हो चुकी हैं। वर्तमान में ...
Washington: कभी परमाणु हथियारों की दौड़ पर नियंत्रण के लिए अमेरिका और सोवियत संघ (अब रूस) के बीच कई ऐतिहासिक संधियाँ हुईं, लेकिन अब वे लगभग समाप्त हो चुकी हैं। वर्तमान में ‘न्यू स्टार्ट’ इकलौती संधि है जो दोनों देशों के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण को लेकर बची है, और वह भी 2026 में समाप्त होने वाली है।1987 में की गई इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF संधि, जो 500 से 5,500 किमी तक की परमाणु मिसाइलों पर रोक लगाती थी, पहले अमेरिका (2019) और फिर अब रूस द्वारा छोड़ दी गई है। अमेरिका ने रूस पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया था, वहीं रूस ने इसे नकारा और अब औपचारिक रूप से इससे बाहर निकल चुका है।
न्यू स्टार्ट संकट में
‘न्यू स्टार्ट’ संधि जिस पर 2010 में हस्ताक्षर हुए थे, केवल 2026 तक लागू है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने इस संधि में अपनी भागीदारी “स्थगित” कर दी है, जिससे निरीक्षण प्रक्रिया बाधित हो गई है। हालांकि, रूस का कहना है कि वह अब भी निर्धारित सीमाओं का पालन करेगा।विशेषज्ञों का मानना है कि अब अमेरिका-रूस के बीच कोई नई परमाणु संधि जल्द होती नहीं दिखती, क्योंकि आपसी विश्वास पूरी तरह खत्म हो चुका है। अमेरिका अब अपने रणनीतिक ध्यान को चीन और ईरान जैसे अन्य देशों की ओर मोड़ रहा है।
चीन पर बढ़ता फोकस
अमेरिका यह भी मानता है कि पूर्ववर्ती परमाणु संधियाँ जैसे INF, चीन जैसी शक्तियों को शामिल नहीं करतीं, जबकि आज के परिप्रेक्ष्य में चीन एक प्रमुख परमाणु शक्ति बन चुका है। इससे नई हथियार दौड़ की संभावना और बढ़ गई है।बावजूद इसके कि हथियारों की दौड़ फिर से तेज़ हो रही है, विशेषज्ञ मानते हैं कि “परस्पर सुनिश्चित विनाश” (Mutually Assured Destruction - MAD जैसी अवधारणाएं अब भी परमाणु शक्तियों को संयम में रखने के लिए मजबूर करती हैं।