पाकिस्तान में आस्था को लेकर अहमदिया समुदाय के व्यक्ति की  हत्या

Edited By Updated: 18 May, 2022 01:48 PM

pakistani man from ahmadi community stabbed to death over faith

पाकिस्तान में एक ‘कट्टरपंथी'' ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 35 वर्षीय शख्स की उसकी आस्था की वजह से चाकू घोंपकर हत्या...

पेशावरः पाकिस्तान में एक ‘कट्टरपंथी' ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 35 वर्षीय शख्स की उसकी आस्था की वजह से चाकू घोंपकर हत्या कर दी। यह वारदात मुल्क के पंजाब प्रांत की है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तान की संसद ने वर्ष 1974 में अहमदिया समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद उनपर खुद को मुस्लिम बताने पर भी रोक लगा दी गई थी। उनपर उपदेश देने और सऊदी अरब की धार्मिक यात्रा करने को लेकर भी प्रतिबंध है। ताजा घटना ओकारा जिले में मंगलवार को हुई है, जो यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर है।

 

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद सिद्दीकी ने  कहा कि अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के सदस्य अब्दुल सलाम की ‘धार्मिक कट्टरपंथी' हफीज अली रजा ने उसकी आस्था की वजह से उसकी चाकू घोंपकर हत्या कर दी। अधिकारी ने बताया, “ सलाम जब अपने खेत से लौट रहा था तो रजा ने उसपर चाकू से हमला कर दिया। सलाम की मौके पर ही मौत हो गई। उसके शव पर चाकू से कई बार वार किए जाने के निशान हैं। रजा धार्मिक नारे लगाता हुआ मौके से भाग गया।” संदिग्ध के खिलाफ हत्या और आतंकवाद की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

 

अधिकारी ने कहा कि कथित कातिल एक मदरसे का छात्र है और उसके पास सलाम की उसकी आस्था की वजह से हत्या करने के सिवाए कोई और वजह नहीं है। सलाम के चाचा जफर इकबाल ने पुलिस से कहा कि रजा ने उनके भतीजे की अहमदियों के खिलाफ धार्मिक नफरत की वजह से हत्या की है। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे की किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी। इकबाल ने कहा कि रजा इस्लामी कंट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का सदस्य है जो इलाके में धार्मिक नफरत को बढ़ावा देती है।

 

उन्होंने कहा कि घटना के बाद ओकारा जिले में रहने वाले अहमदिया परिवारों में असुरक्षा की भावना है। जमात अहमदिया पाकिस्तान के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने ट्विटर पर कहा, “ अहमदियों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। अहमदियों के लिए अपना व्यवसाय चलाने या अपने काम पर जाने जैसे बुनियादी काम करना भी मुश्किल होता जा रहा है। सरकार की नफरत फैलाने वाले भाषण पर अंकुश लगाने या इस हिंसा के पीछे के लोगों को पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है।”  

 

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