भारत में बाघों की मृत्यु दर में 37% की कमी, शिकार से मौतों में भी गिरावट

Edited By Updated: 09 Dec, 2024 02:17 PM

37 percent reduction in mortality rate of tigers in india

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल भारत में बाघों की मृत्यु दर में 37% की कमी आई है। 2024 में अब तक 115 बाघों की मौत की सूचना मिली है, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 182 था।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल भारत में बाघों की मृत्यु दर में 37% की कमी आई है। 2024 में अब तक 115 बाघों की मौत की सूचना मिली है, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 182 था।

शिकार से संबंधित मौतों में कमी
शिकार के कारण होने वाली बाघों की मौतों में भी कमी आई है। 2023 में जहां शिकार से 17 मौतें हुई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ़ 4 रह गई है। हालांकि, एनटीसीए की रिपोर्ट में अभी तक बाघों की मौत के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है, जैसे कि क्षेत्रीय संघर्ष, दुर्घटनाएँ, ज़हर या बिजली का झटका।

डेटा रिपोर्टिंग में देरी
एनटीसीए के अधिकारियों का कहना है कि कुछ राज्यों ने बाघों की मौत के कारणों पर डेटा और फ़ोरेंसिक रिपोर्ट जमा करने में देरी की है, जिससे जानकारी में कुछ अंतराल आया है।

राज्यवार बाघों की मृत्यु
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र बाघों की सबसे ज़्यादा मौतों वाले राज्य बने हुए हैं। इस साल मध्य प्रदेश में 46 बाघों की मौत हुई, जो 2023 में 43 थी। वहीं, महाराष्ट्र में 50% कमी आई है, जहां 2024 में 23 बाघों की मौत हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 46 था। कर्नाटक में 11 बाघों की मौत हुई, जो पिछले साल से एक कम है।

बेहतर संरक्षण उपायों का असर
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वैज्ञानिक डॉ. बिलाल हबीब का मानना है कि शिकार से संबंधित बाघों की मौतों में कमी का कारण बेहतर संरक्षण उपायों और शिकार विरोधी पहलों का प्रभावी ढंग से लागू होना है।

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