Edited By Tanuja,Updated: 30 Jun, 2025 02:01 PM

कनाडा G-7 में भाग लेने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद लगता है कनाडा की आंखें खुल गई हैं। कनाडा की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी Canadian Security Intelligence Service (CSIS ) ने आधिकारिक रूप से...
International Desk: कनाडा G-7 में भाग लेने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद लगता है कनाडा की आंखें खुल गई हैं। कनाडा की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी Canadian Security Intelligence Service (CSIS ) ने आधिकारिक रूप से चरमपंथी खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया है। हालाँकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि शांतिपूर्ण और गैर-हिंसक तरीकों से खालिस्तान की मांग करना चरमपंथ नहीं माना जाता । लेकिन एक छोटा-सा समूह कनाडा में रहकर भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, योजना बनाने और फंडिंग करने में लिप्त है, जिसे खालिस्तानी चरमपंथी माना गया है।
CBKES पर कड़ी नजर
Canada-Based Khalistani Extremist Supporters (CBKES) यानी कनाडा-स्थित खालिस्तानी चरमपंथी समर्थकों द्वारा 2024 में कनाडा में कोई हिंसक हमला तो नहीं हुआ लेकिन उनकी गतिविधियाँ भारत में हिंसा और अस्थिरता फैलाने में सक्रिय हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये समूह कनाडा की छवि और हितों को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं और इसके चलते सरकार की साख पर भी असर पड़ रहा है।
Jas Oberoi की शरणार्थी आवेदकों को चेतावनी
प्रवासी मामलों के जानकार Jas Oberoi ने सोशल मीडिया पर चेताया कि “अगर आप कनाडा में खालिस्तान का हवाला देकर शरण (Asylum) ले रहे हैं और पैसे देकर समर्थन पत्र खरीद रहे तो समझिए आप उस गतिविधि को फंड कर रहे हैं जिसे कनाडा अब आतंकवाद मान रहा है।”ऐसे मामलों में लोगों को गिरफ्तारी, भारत प्रत्यर्पण (Extradition), और उम्रभर की जेल तक की सजा हो सकती है। उन्होंने सिख समुदाय से कहा, “ इस पर गंभीरता से सोचिए, यह सिर्फ राजनीति नहीं रह गई, यह अब आपराधिक खतरे का मामला है। ”
केवल हिंसक तत्व ही निशाने पर
CSIS ने यह भी कहा है कि सभी खालिस्तान समर्थक चरमपंथी नहीं हैं । केवल वे लोग जो हिंसा, कट्टरपंथी प्रचार और फंडिंग में शामिल हैं, उन्हें चरमपंथी माना गया है। आम नागरिक जो शांतिपूर्ण तरीके से खालिस्तान के पक्ष में विचार रखते हैं वे इस दायरे में नहीं आते।