चीन की डील ने उड़ाई 4 महाशक्तिशाली देशों की नींद, भारत की भी बढ़ी टेंशन

Edited By Tanuja,Updated: 21 Apr, 2022 12:06 PM

china soloman islands deal could cut nz australia off from us support

चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच हुए समझौते ने इन दिनों  4 महाशक्तिशाली देशों की नींद उड़ा रखी है। इस डील को लेकर जहां...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच हुए समझौते ने इन दिनों  4 महाशक्तिशाली देशों की नींद उड़ा रखी है। इस डील को लेकर  जहां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान ने चिंता जताई है वहीं भारत की भी टेंशन बढ़ा दी है। इस समझौते को लेकर अमेरिका अपने दो शीर्ष अधिकारियों को सोलोमन भेजने की योजना बना रहा है। पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के सीनेटर जेड सेसेल्जा ने सोलोमन द्वीप का दौरा किया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि चीन इस द्वीपसमूह में सैन्य बेस स्थापित कर सकता है।

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इन देशों को डर है कि इस समझौते की बदौलत चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण प्रशांत तक सीधी पहुंच बना सकता है। उसे किसी और देश के सहारे की आवश्कता नहीं होगी। संयुक्त राष्ट्र स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका विशेष रूप से इसलिए चिंतित हैं कि इस समझौते से चीन, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से सिर्फ 2,000 किमी दूर एक सैन्य अड्डा स्थापित कर सकता है। इस समझौते से चीन अपनी पुलिस, सशस्त्र बलों, सैन्यकर्मियों और अन्य कानून प्रवर्तन दलों को सरकार के अनुरोध पर द्वीपों पर भेज सकता है।

 

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यह समझौता चीन के नौसैनिक जहाजों को रसद सहायता के लिए द्वीपों का उपयोग करने की अनुमति भी प्रदान करता है। दोनों पक्ष सामाजिक व्यवस्था के रखरखाव, मानवीय सहायता और प्राकृतिक आपदा से निपटने में सहयोग करेंगे। हालांकि  यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि और यहां तक ​​कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से पर्याप्त दूरी पर है। इसलिए तुरंत और सीधा प्रभाव तो नहीं होगा हालांकि, दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में चीन का विस्तार भारत के लिए नई चिंताएं पैदा कर सकता है। चीन संभावित रूप से इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आसपास के समुद्री यातायात को नियंत्रित कर सकता है।

 

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सोलोमन द्वीप समूह का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के लिए एक ढाल के रूप में किया गया था। ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में ब्रिटेन और अमेरिका के आपसी सहयोग से चीन की तुलना में रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास करता रहा है। उधर, चीन ने इस समझौते को जायज बताते हुए सफाई दी है कि इस समझौते से किसी अन्य देश को नुकसान नहीं पहुंचेगा। वहीं, सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मानसेह सोगावरे ने भी चीन संग सुरक्षा समझौते की पुष्टि करते हुए इसका बचाव किया है। उन्होंने इसे पूरी तरह से आंतरिक सुरक्षा स्थिति से संबंधित बताया। कहा कि इससे क्षेत्र की शांति और सौहार्द की अनदेखी नहीं होगी।  


कहां और कैसा है सोलोमन द्वीप?
सोलोमन द्वीप दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों का एक समूह है। यह पापुआ न्यू गिनी के पूर्व और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में हैं। यह दक्षिण प्रशांत के सबसे गरीब देशों में से एक है। 1978 में सोलोमन द्वीप समूह एक गणतंत्र के रूप में स्थापित हुआ। यहां की कुल जनसंख्या 7,17,043 है। वर्ष 2019 में सोलोमन ने ताइवान से अपने सभी प्रकार के राजनयिक संबंध खत्म कर लिए और चीन से नजदीकियां बढ़ाईं।

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