Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Feb, 2023 02:46 PM
‘जाको राखे साईंया, मार सके ना कोय' की पंक्ति एक युवक पर पूरी तरह से सही बैठती है। जिस बच्चे को घरवालों ने मृत समझकर नदी में बहा दिया था वो अब 15 साल बाद जिंदा होकर लौट आया।
नेशनल डेस्क: ‘जाको राखे साईंया, मार सके ना कोय' की पंक्ति एक युवक पर पूरी तरह से सही बैठती है। जिस बच्चे को घरवालों ने मृत समझकर नदी में बहा दिया था वो अब 15 साल बाद जिंदा होकर लौट आया। पहले तो घरवालों को यकीन ही नहीं हुआ कि यह उनका ही बच्चा है। यह मामला है उत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के एक छोटे से गांव का। 15 साल पहले सर्पदंश के शिकार एक किशोर को परिजनों ने नदी में प्रवाहित कर दिया था।
भागलपुर विकास खंड के मुरासो गांव के रहने वाले रामसुमेर यादव का पुत्र अंगेश यादव को 15 साल पहले एक सांप ने डस लिया था। उस समय अंगेश की उम्र करीब 12 साल थी। मुंह से झाग निकलने पर परिजनों ने झांड़-फूंक कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। परिजन अंगेश को डाक्टर के पास ले गए थे, जहा डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मान्यता के अनुसार परिजनों ने केले के तने पर लिटा कर उसे नदी में बहा दिया था। अंगेश ने बताया कि उस दौरान उसे कुछ मालूम नहीं था। होश में आने पर पता चला कि वह बिहार के पटना के पास एक झोपड़ी में है।
उसने बताया कि उसे सपेरे अमन माली ने झाड़-फूंक कर ठीक किया और उसका पालन पोषण किया। घर लौटकर आए युवक ने कहा कि 24 फरवरी को उसने एक ट्रक ड्राइवर को अपनी आपबीती सुनाई तो ट्रक ड्राइवर ने उसे आजमगढ़ पहुंचाया। वहां से ट्रक से बलिया जिले के बेल्थरा रोड पहुंचा। बेल्थरा रोड में गांव के कुछ लोगों का नाम बताया। किसी ने अंगेश का फोटो वाट्सएप के जरिए गांव के किसी व्यक्ति को भेजा! फोटो देखने के बाद परिजन और गांव के लोग मनियर पहुंचे! जहां युवक ने अपनी मां कमलावती देवी, चाची संभलावती देवी को पहचान लिया। उसने अपने शिक्षक, आसपास के घरों के लोगों का नाम भी बताया। जिसके बाद पुलिस ने अंगेश को उसके परिजनों व ग्राम प्रधानपति को सौंप दिया। प्रधानपति सत्येंद्र यादव ने बताया कि अंगेश ने अपने मित्रों के साथ ही गांव के सभी लोगों को पहचान लिया है।