Diabetes kidney failure : किडनी के लिए नुकसानदायक साबित हो रही... जानें किडनी फेल होने के शुरुआती संकेत

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 11:40 PM

diabetes is proving to be harmful to the kidneys leading to kidney failure

डायबिटीज के मरीजों में किडनी फेलियर की समस्या अक्सर बिना किसी शोर-शराबे के शुरू होती है और धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अधिकतर मरीज किडनी खराब होने के शुरुआती संकेतों को पहचान ही नहीं पाते। यही वजह है कि समय पर...

नेशनल डेस्क: डायबिटीज के मरीजों में किडनी फेलियर की समस्या अक्सर बिना किसी शोर-शराबे के शुरू होती है और धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अधिकतर मरीज किडनी खराब होने के शुरुआती संकेतों को पहचान ही नहीं पाते। यही वजह है कि समय पर जांच न होने पर हालात बिगड़ जाते हैं। हालांकि, अगर शुरुआत में ही सतर्क हो जाएं और जरूरी टेस्ट करा लिए जाएं, तो इस बीमारी की रफ्तार को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है।

बेंगलुरु स्थित एस्टर आरवी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. हर्ष कुमार एचएन के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों में किडनी डैमेज के शुरुआती लक्षण बेहद हल्के होते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

ये हो सकते हैं किडनी फेल होने के शुरुआती संकेत

डॉ. कुमार बताते हैं कि शरीर में पानी जमा होना अक्सर पहला चेतावनी संकेत होता है। जब किडनी शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर नहीं निकाल पातीं, तो पैरों या आंखों के आसपास हल्की सूजन दिखाई देने लगती है। इसके अलावा पेशाब में बदलाव भी किडनी की सेहत का अहम संकेत देता है। झागदार या बुलबुलेदार पेशाब प्रोटीन के रिसाव की ओर इशारा करता है। रात में बार-बार पेशाब आना, पेशाब का रंग गहरा या चाय जैसा होना, या फिर पेशाब की मात्रा कम होना- इन सभी संकेतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

लगातार थकान, कमजोरी, पीठ के निचले हिस्से में भारीपन और हल्का-सा बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर भी किडनी पर बढ़ते दबाव का संकेत हो सकता है।

कैसे करें समय रहते पहचान?

डॉक्टर के मुताबिक सिर्फ लक्षणों पर निर्भर रहना काफी नहीं है। सही जानकारी रेगुलर स्क्रीनिंग से मिलती है। इसके लिए दो अहम टेस्ट बताए जाते हैं—

  • यूरिन एल्ब्यूमिन-टू-क्रिएटिनिन रेश्यो (UACR)
  • eGFR (अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट)

इंटरनेशनल ADA-KDIGO गाइडलाइंस के अनुसार, हर डायबिटीज मरीज को साल में कम से कम एक बार ये दोनों टेस्ट जरूर कराने चाहिए। इससे किडनी की बीमारी को शुरुआती दौर में ही पकड़ा जा सकता है और समय पर इलाज शुरू कर गंभीर खतरे से बचा जा सकता है।

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