Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Jun, 2025 02:21 PM

UPI के नियमों में 1 अगस्त से बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, जो देश के डिजिटल भुगतान सिस्टम की मजबूती और स्थिरता के लिए जरूरी हैं। UPI पर हो रहे बढ़ते ट्रांजैक्शन के दबाव को कम करने और सिस्टम की गति बनाये रखने के लिए नई पाबंदियां लागू की जा रही हैं।...
नेशनल डेस्क: UPI के नियमों में 1 अगस्त से बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, जो देश के डिजिटल भुगतान सिस्टम की मजबूती और स्थिरता के लिए जरूरी हैं। UPI पर हो रहे बढ़ते ट्रांजैक्शन के दबाव को कम करने और सिस्टम की गति बनाये रखने के लिए नई पाबंदियां लागू की जा रही हैं। खासतौर पर बैंक बैलेंस चेकिंग, बैंक खातों की जानकारी देखने और ऑटोमेटिक सब्सक्रिप्शन पेमेंट पर सीमाएं लगाई जाएंगी। आइए जानते हैं इन बदलावों की पूरी जानकारी और उनका आपके डिजिटल लेनदेन पर क्या असर होगा।
UPI के नए नियम: क्यों जरूरी है बदलाव?
देश में यूपीआई से हो रहे भारी ट्रांजैक्शन की वजह से सिस्टम पर लोड काफी बढ़ गया है। तकनीकी नियमों में बदलाव का उद्देश्य गैरजरूरी और बार-बार आने वाली API रिक्वेस्ट को कंट्रोल करना है ताकि यूपीआई सिस्टम की स्थिरता बनी रहे और यह तेजी से काम करता रहे।
1 अगस्त से ये बदलाव लागू होंगे:
1. बैंक बैलेंस चेकिंग की लिमिट
अब आप दिन भर में केवल 50 बार अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस यूपीआई ऐप के जरिए देख पाएंगे। इससे अत्यधिक बार बार बैलेंस चेक करने वाले उपयोगकर्ताओं पर कंट्रोल होगा।
2. मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक खातों की डिटेल
अगर आपके मोबाइल नंबर से कई बैंक अकाउंट लिंक हैं, तो आप इन खातों की जानकारी एक दिन में सिर्फ 25 बार देख पाएंगे। इससे डेटा की अधिकता और सिस्टम पर अनावश्यक भार कम होगा।
3. सब्सक्रिप्शन पेमेंट में समय सीमाएं
नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, एसआईपी जैसी सेवाओं के लिए ऑटोमेटिक पेमेंट अब केवल नॉन पीक ऑवर्स में ही किए जा सकेंगे। ये समय होंगे:
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सुबह 10 बजे से पहले
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दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक
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रात 9:30 बजे के बाद
इससे ट्रांजैक्शन की भीड़ को व्यवस्थित करना आसान होगा और सिस्टम पर दबाव कम होगा।
UPI का भारत में महत्व
यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को आम जनता तक पहुंचा दिया है। बिना बैंक डिटेल्स के, सिर्फ मोबाइल नंबर या QR कोड से ट्रांजैक्शन करना अब आम बात हो गई है। लाखों छोटे व्यापारी, रिक्शा चालक और कंस्यूमर इससे जुड़े हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूपीआई सिस्टम के लगातार बढ़ते उपयोग को देखते हुए यह कदम जरूरी था ताकि प्लेटफॉर्म सुचारू रूप से काम करता रहे। नए नियमों से तकनीकी सुधार होगा, लेकिन यूजर एक्सपीरियंस पर भी खास ध्यान रखा गया है ताकि आम जनता को कोई असुविधा न हो।