Edited By Tanuja,Updated: 15 Jul, 2025 02:54 PM

पांच साल बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा ने भारत-चीन रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की नई कोशिश को हवा दी है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे...
Bejing: पांच साल बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा ने भारत-चीन रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की नई कोशिश को हवा दी है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने न सिर्फ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की बल्कि उनकी तस्वीर साझा कर उन तमाम अफवाहों पर भी विराम लगा दिया, जिनमें दावा किया जा रहा था कि शी जिनपिंग सत्ता संघर्ष या बीमारी के चलते ‘अंडरग्राउंड’ हैं। बीते कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर ये सवाल घूम रहे थे कि क्या शी जिनपिंग लापता हैं? क्या उन्हें नजरबंद कर दिया गया है? लेकिन जयशंकर की इस हाई-प्रोफाइल मुलाकात ने बता दिया कि चीन का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह सक्रिय है और अफवाहों का हकीकत से कोई लेना-देना नहीं।
जयशंकर ने एक्स पर तस्वीर शेयर कर लिखा...
जयशंकर ने एक्स पर तस्वीर शेयर कर लिखा, “आज सुबह बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और SCO सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। राष्ट्रपति को भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हाल की प्रगति से अवगत कराया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी सौंपा।” यह मुलाकात इस बात का पुख्ता सबूत बन गई कि शी जिनपिंग कहीं लापता नहीं हुए।
कैसे शुरू हुईं अफवाहें?
शी जिनपिंग के लापता होने की बातें तब उभरीं जब मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के पहले हफ्ते तक वे करीब 15 दिन तक सार्वजनिक मंचों से गायब रहे। उसके बाद जुलाई की शुरुआत में ब्राजील में हुए BRICS सम्मेलन में भी उनकी गैरमौजूदगी ने कयासों को और बल दिया। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चीनी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के भीतर सत्ता संघर्ष चल रहा है। किसी ने दावा किया कि शी बीमार हैं या नजरबंद हैं, मगर इन अफवाहों की कोई पुष्टि नहीं हुई। अब जयशंकर की मुलाकात ने इन पर पूरी तरह विराम लगा दिया।
‘ड्रैगन और हाथी’ का टैंगो
बीजिंग में SCO बैठक से इतर जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग और विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की। हान झेंग ने कहा कि भारत और चीन जैसे दो बड़े विकासशील देशों के बीच सहयोग जरूरी है और दोनों का ‘टैंगो’ एशिया और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद रहेगा। जयशंकर ने भी दो टूक कहा कि अगर चीन भारत की ‘कोर चिंताओं’ का सम्मान करेगा तो आपसी लाभ के रास्ते खुलेंगे।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट
चीनी सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने जयशंकर की यात्रा को पीएम मोदी और शी जिनपिंग की अक्टूबर 2024 में कज़ान में हुई बैठक के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में दूसरा बड़ा कदम बताया। अखबार ने माना कि गलवान संघर्ष के बाद कूटनीतिक संवाद न्यूनतम रह गया था, ऐसे में यह दौरा भरोसे की वापसी का संकेत है। हालांकि सीमा विवाद अब भी सबसे बड़ा और संवेदनशील मसला है। विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों को थिंक टैंक संवाद, सीमा पर भरोसे का ढांचा और लोगों के बीच संपर्क मजबूत करना होगा।
SCO और BRICS पर साझी ताकत
भारत और चीन SCO और BRICS जैसे मंचों पर पहले से ही मिलकर काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देश सामूहिक रणनीति बनाते हैं तो यह न केवल ग्लोबल साउथ बल्कि बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को भी मजबूती देगा। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अब गेंद दोनों देशों के पाले में है वे सहयोग को प्राथमिकता देते हैं या फिर प्रतिस्पर्धा को। लेकिन जयशंकर की इस यात्रा ने इतना जरूर साफ कर दिया कि एशिया ही नहीं, पूरी दुनिया भारत-चीन रिश्तों को सामान्य होने की उम्मीद से देख रही है।