Edited By Mansa Devi,Updated: 05 Jun, 2025 03:11 PM

भारत सरकार ने 2027 में होने वाली जनगणना में जातिगत जानकारी एकत्र करने का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की वास्तविक संख्या का पता अब भी नहीं चलेगा। जनगणना में केवल जाति पूछी जाएगी, वर्गवार आंकड़े संकलित नहीं किए जाएंगे। यह नीति...
नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने 2027 में होने वाली जनगणना में जातिगत जानकारी एकत्र करने का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की वास्तविक संख्या का पता अब भी नहीं चलेगा। जनगणना में केवल जाति पूछी जाएगी, वर्गवार आंकड़े संकलित नहीं किए जाएंगे। यह नीति न केवल राजनीतिक बहस को जन्म देती है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण सवाल भी उठाती है – क्या देश अब भी अपनी जातिगत हकीकत को स्वीकारने से कतराता है?
क्या होगी प्रक्रिया?
जनगणना में हर नागरिक से उनकी जाति पूछी जाएगी – वह भी धर्म सहित। इसका मतलब यह है कि मुस्लिम, ईसाई या अन्य धर्मों के लोगों को भी अपनी जाति का उल्लेख करना होगा। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जातियों की गिनती तो होगी, लेकिन उन्हें वर्ग में नहीं बांटा जाएगा, यानी यह पता नहीं चलेगा कि किस वर्ग में कितने लोग हैं – जैसे कि ओबीसी में कुल कितनी आबादी आती है।
क्यों नहीं होगी ओबीसी की गणना?
सूत्रों के अनुसार, सरकार का कहना है कि जाति और वर्ग का राष्ट्रीय स्तर पर मिलान करना मुश्किल है क्योंकि कई जातियां एक राज्य में ओबीसी हैं लेकिन दूसरे राज्य में सामान्य वर्ग में आती हैं। इस वजह से एक समान राष्ट्रीय आंकड़ा बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति गलत जाति बताता है तो सरकार के पास उसे जांचने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और दबाव
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस का तर्क है कि जब तक वास्तविक संख्या पता नहीं चलेगी, तब तक आरक्षण, योजनाओं और नीतियों का लाभ वंचित वर्गों तक ठीक से नहीं पहुंच पाएगा। मोदी सरकार ने 30 अप्रैल 2024 को कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना का निर्णय लिया था, लेकिन वर्गवार विश्लेषण को न करने का फैसला अब कई सवालों को जन्म दे रहा है।
क्या पूछे जाएंगे सवाल?
जनगणना में लगभग 30 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें व्यक्ति का नाम, लिंग, माता-पिता का नाम, जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति, स्थायी और वर्तमान पता, परिवार के मुखिया का नाम और जाति से जुड़े प्रश्न शामिल होंगे।
जनगणना की डिजिटल पहल
इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी। सामान्यतः जनगणना में 5 साल लगते हैं, लेकिन डिजिटल प्रक्रिया की वजह से यह कार्य तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इतिहास क्या कहता है?
- 1931: आखिरी बार पूरी जातिगत जनगणना हुई थी
- 1951 से 2001: जाति आधारित डेटा नहीं जुटाया गया
- 2011: सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना हुई, लेकिन डेटा सार्वजनिक नहीं हुआ
- 2027: एक बार फिर जातिगत गणना की जाएगी, लेकिन वर्ग आधारित नहीं