Farmers Protest: शंभू बॉर्डर पर किसान ने खाई सल्फास को गोलियां, हालत गंभीर

Edited By Updated: 09 Jan, 2025 02:19 PM

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शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। यहां किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्य रेशम सिंह ने आज सुबह सल्फास की गोलियां खा लीं, जिसके बाद उन्हें राजपुरा सरकारी हॉस्पिटल में ले जाया गया है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। किसान...

नेशनल डेस्क: शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। यहां किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्य रेशम सिंह ने आज सुबह सल्फास की गोलियां खा लीं, जिसके बाद उन्हें राजपुरा सरकारी हॉस्पिटल में ले जाया गया है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। किसान रेशम सिंह, तरण तारन जिले के रहने वाले हैं और कई दिनों से शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल थे।

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शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी
पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है। किसान दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक लिया है। 13 फरवरी और 21 फरवरी को किसानों ने दिल्ली जाने के लिए मार्च किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें सीमा पर ही रोक लिया। 

इसके बाद, 6 और 8 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाने के लिए फिर से पैदल चला, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान किसान और सुरक्षाकर्मियों के बीच टकराव जैसी स्थिति बन गई, और किसानों को पीछे धकेलने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया। इस संघर्ष में कई किसान घायल हो गए।

क्या है किसानों की मांगें 
किसानों की मुख्य मांगें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी है, ताकि किसान सुनिश्चित कर सकें कि उनकी फसल को एक निश्चित कीमत पर खरीदा जाएगा। इसके अलावा, किसान कर्ज माफी की भी मांग कर रहे हैं ताकि उनका आर्थिक बोझ कम हो सके। इसके साथ ही, वे किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन की व्यवस्था चाहते हैं, ताकि बुजुर्ग और असहाय किसान भी एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। किसान चाहते हैं कि बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न हो, जिससे उनकी कृषि लागत कम रहे।
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किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि पुलिस के द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले वापस लिए जाएं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह उन्हें परेशान करने के लिए किए गए हैं। इसके अलावा, वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की भी मांग कर रहे हैं। किसान भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को फिर से लागू करने की मांग भी कर रहे हैं, ताकि उनकी ज़मीन बिना उनकी सहमति के न ली जा सके। इसके साथ ही, वे 2020-21 के आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।

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