Gold Price: ट्रेड टेंशन के बीच सोने के दामों में आया बदलाव, जल्दी देखें अपने शहर में गोल्ड के लेटेस्ट रेट

Edited By Updated: 11 Aug, 2025 10:58 AM

gold and silver prices influenced by global and domestic factors

दुनिया भर में व्यापार टकराव, खासकर अमेरिका और अन्य देशों के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ती तनातनी ने सोने और चांदी की कीमतों को एक बार फिर ऊपर की ओर धकेल दिया है। जहां एक ओर वैश्विक निवेशक अनिश्चितता से बचने के लिए सोने को ‘सेफ हेवन’ मानकर इसमें निवेश कर...

नेशनल डेस्क: दुनिया भर में व्यापार टकराव, खासकर अमेरिका और अन्य देशों के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ती तनातनी ने सोने और चांदी की कीमतों को एक बार फिर ऊपर की ओर धकेल दिया है। जहां एक ओर वैश्विक निवेशक अनिश्चितता से बचने के लिए सोने को ‘सेफ हेवन’ मानकर इसमें निवेश कर रहे हैं, वहीं भारत जैसे बाजारों में इसकी सीधी मार ग्राहकों पर पड़ रही है।

क्या है 11 अगस्त 2025 का ताजा भाव?

इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा 11 अगस्त को जारी आंकड़ों के मुताबिक, आज सोने की कीमतों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। 24 कैरेट सोना ₹1,03,460 प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना ₹94,850 प्रति 10 ग्राम के भाव पर स्थिर रहा। दिल्ली समेत देश के अन्य प्रमुख शहरों में भी आज सोने के दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं, जो बाजार में फिलहाल किसी बड़े उतार-चढ़ाव की अनुपस्थिति को दर्शाता है।

8 अगस्त को क्या थे रेट?

IBJA के अनुसार, 8 अगस्त 2025 को 24 कैरेट सोना ₹1,00,942 प्रति 10 ग्राम और चांदी ₹1,14,732 प्रति किलो के भाव पर ट्रेड कर रही थी। वहीं 995 प्योरिटी सोना ₹1,00,538 प्रति 10 ग्राम, 916 कैरेट सोना ₹92,463 प्रति 10 ग्राम और 750 प्योरिटी सोना ₹75,707 प्रति 10 ग्राम की दर से बिक रहा था। शनिवार और रविवार को बाजार बंद रहने की वजह से इन कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं आया और भाव स्थिर बने रहे।

चांदी ने भी पार किया ₹1 लाख का आंकड़ा

सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई हैं। 8 अगस्त को इसकी कीमत ₹1,14,732 प्रति किलो थी। यह लगातार तीसरे सप्ताह 1 लाख रुपये प्रति किलो से ऊपर बनी हुई है। इससे मध्यम वर्गीय खरीदारों में चिंता बढ़ी है क्योंकि चांदी आमतौर पर आम आदमी की पहुंच में मानी जाती है।

क्या कारण है कीमतों में तेजी का?

सोने और चांदी की कीमतें केवल घरेलू बाजार पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय कारकों पर भी काफी निर्भर करती हैं। इनमें सबसे प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी के स्पॉट प्राइस में होने वाली तेजी या गिरावट है। इसके अलावा डॉलर-रुपया विनिमय दर में उतार-चढ़ाव का भी सीधे तौर पर इनकी कीमतों पर असर पड़ता है। जब रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो सोना और चांदी महंगे हो जाते हैं। इसके अलावा आयात पर लगने वाले शुल्क और टैक्स भी कीमतों को प्रभावित करते हैं। वैश्विक तनाव जैसे युद्ध, आर्थिक मंदी, ब्याज दरों में बदलाव या बैंकिंग संकट जैसी स्थितियां भी सोने और चांदी की मांग और कीमतों को प्रभावित करती हैं। भारत में त्योहारों और शादी-विवाह जैसे मौकों पर सोने और चांदी की मांग काफी बढ़ जाती है, जो भी कीमतों में इजाफा करती है। चूंकि भारत सोने का बड़ा आयातक है, इसलिए विदेशी मुद्रा के प्रभाव से इसकी कीमतें लगातार प्रभावित होती रहती हैं।

सोना क्यों बन जाता है “सेफ हेवन”?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब भी कोई संकट आता है – जैसे युद्ध, आर्थिक गिरावट या बैंकिंग सेक्टर की अनिश्चितता – तो निवेशक सोने में पैसा लगाना सुरक्षित मानते हैं। यह एक ऐसी संपत्ति मानी जाती है जो समय के साथ अपने मूल्य को सुरक्षित रखती है। यही कारण है कि जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है, तो सोने की मांग और कीमत दोनों बढ़ जाते हैं।

क्या अभी खरीदना सही रहेगा?

सोने और चांदी की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, लेकिन यह स्थिरता लंबे समय तक नहीं रहती। अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं, तो मौजूदा समय संतुलित निर्णय लेने का है। भविष्य में करेंसी ट्रेंड, ब्याज दरें, और वैश्विक आर्थिक घोषणाएं इन कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं। त्योहारों से पहले दाम और ऊपर जा सकते हैं, इसलिए कुछ विशेषज्ञ इसे buy-on-dip का मौका मानते हैं।

सोने का भाव कैसे तय होता है?

भारत में सोने और चांदी के भाव तय करने में कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले, लंदन बुलियन मार्केट और COMEX जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर अमेरिकी डॉलर में तय होने वाला स्पॉट प्राइस कीमतों का आधार होता है। इसके अलावा, रुपया-डॉलर विनिमय दर में बदलाव भी सोने और चांदी की कीमतों को प्रभावित करता है क्योंकि भारत में अधिकांश सोना आयात किया जाता है। आयात पर लगने वाले शुल्क, जैसे कि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास उपकर (AIDC) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) भी कीमतों में शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत की पारंपरिक मांग, जो त्योहारों और शादी-विवाह के मौकों पर बढ़ जाती है, कीमतों को ऊपर ले जाती है। मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में बदलाव भी सोने की कीमतों पर प्रभाव डालते हैं। इन सभी कारकों के कारण भारत में सोने और चांदी के भाव में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।

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